व्याकरण सम्मत शब्दों के प्रयोग विधि को नियमबद्ध रूप से जो वाक्य बनते है , उसे शुद्ध वाक्य कहा जाता है | व्याकरण के द्वारा ही हम दीर्घकाल तक शब्दों के शुद्ध रूप को सुरक्षित रख सकते हैं | समाज में शब्दों का व्यापक रूप में प्रयोग होता है | समाज में जहाँ शुद्ध रूप का प्रयोग होता है , उसी के सामानांतर समाज में कुछ लोग अशुद्ध शब्दों का भी प्रयोग करते है |कभी – कभी ऐसा भी होता है कि अशुद्ध रूप ही शुद्ध जैसा प्रतीत होने लगता है | इस कारण सभी हिंदी पाठकों को शब्दों के शुद्ध रूप को जानना नितांत आवश्यक है |जिससे हिंदी भाषा को संरक्षित किया जा सके |
पाठकगण के समक्ष कुछ प्रचलित शब्दों की शुद्ध वर्तनी दी जा रही है | इसके अतिरिक्त वृहद ज्ञान के लिए आप हिंदी के विभिन्न भाषा – कोष का अध्ययन करके अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है |
शुद्ध शब्दों के सामने सम्भावित अशुद्ध शब्द दिये जा रहे है | पाठकगण शुद्ध शब्दों को ध्यान में रखें | एक शुद्ध शब्द के अशुद्ध रूप अनेक प्रकार से लिखे जा सकते है |
| शुद्ध शब्द | अशुद्ध शब्द |
| अर्थ | अरथ |
| अधीन | आधीन |
| अनेक | अनेकों |
| अतिथि | अतिथी |
| अनधिकार | अनाधिकार |
| अनधिकृत | अनाधिकृत |
| अध्यात्म | आध्यात्म |
| अनुगृहीत | अनुग्रहीत |
| अनजान | अंजान |
| अहल्ला | अहिल्या |
| अद्वितीय | अद्वितिय |
| अंत्याक्षरी | अंताक्षरी |
| अर्थात् | अर्थात |
| अनिष्ट | अनिष्ठ |
| अनूदित | अनुदित |
| अस्तित्व | अस्तीत्व |
| अलौकिक | अलोकिक |
| अंतर्धान | अंतर्ध्यान |
| अमावस्या | अमावश्या |
| अपह्नुति | अपन्हुति |
| अनुष्ठान | अनुष्टान |
| अक्षुण्ण | अक्षुण्य |
| अनुसरण | अनुशरण |
| अंतर्राष्ट्रीय | अंतरराष्ट्रीय |
| असमर्थ | असर्मथ |
| अनुचित | अनूचित |
| अंतर्द्वंद्व | अंर्तद्वंद |
| अभिशाप | अभिसाप |
| अघोष | अघोस |
| अनन्य | अनन्न |
| अनशन | अनसन |
| अपथ्य | अपथ |
| अर्पित | अरपित |
| अन्तर्गत | अंर्तगत |
| [ आ ] | |
| आनन्द | आनंन्द |
| आवश्यकता | अवश्यकता |
| आहार | अहार |
| आश्रित | आश्रीत |
| आशीर्वाद | आर्शीवाद |
| आरोग्य | आरोज्ञ |
| आर्द्र | आर्द |
| आशंका | आसंका |
| आटा | आँटा |
| आगामी | अगामी |
| आचार्य | आर्चाय |
| आवंटन | आबंटन |
| आँसू | आँसु |
| आलू | आलु |
| आमूल | आमूलत: |
| आषाढ़ | अषाढ़ |
| [ इ ] | |
| इष्ट | इष्ठ |
| इच्छा | ईच्छा |
| इकट्ठा | इकट्ठा |
| इन्दौर | इंदोर |
| इन्दिरा | इंदीरा |
| इन्द्रिय | इंद्रीय |
| इन्दु | इंदू |
| इति | ईति |
| [ ई ] | |
| ईश्वर | ईस्वर |
| ईर्ष्या | ईर्षा |
| ईजाद | इजाद |
| ईमानदारी | इमानदारी |
| ईसाई | इसाई |
| ईक्षा | इक्षा |
| [ उ ] | |
| उन्नतशील | उन्नतिशील |
| उज्ज्वल | उज्जवल |
| उत्तीर्ण | उर्त्तीर्ण |
| उपर्युक्त | उपरोक्त |
| उद्घोष | उद्घोस |
| उपहार | उपाहार |
| उत्कृष्ट | उत्कृष्ठ |
| उत्तरदायित्व | उत्तरदायीत्व |
| उपजाऊ | उपजाउ |
| उद्घाटन | उदघाटन |
| उपलक्ष्य | उपलक्ष |
| उष्णता | उस्णता |
| उर्मिला | उरमिला |
| उनचास | उन्नचास |
| ऊँट | उंट |
| ऊष्मा | ऊसमा |
| ऋषि | रिषी |
| ऋण | रिण |
| [ ए , ऐ, ओ,औ ] | |
| एहसास | अहसास |
| एशिया | एसिया |
| एकता | ऐकता |
| ऐनक | एनक |
| ऐतिहासिक | एतिहासिक |
| एलान | ऐलान |
| औषध | ओषधी |
| औसत | ओसत |
| औद्योगिक | ओद्योगिक |
| अँधेरा | अंधेरा |
| [ क-ज्ञ ] | |
| कालिदास | कालीदास |
| कलश | कलस |
| कवयित्री | कवियित्री |
| कैलास | कैलाश |
| कौतूहल | कोतूहल |
| कनिष्ठ | कनिष्ट |
| क्लेश | कलेस |
| कृपया | कृप्या |
| कल्याण | कल्यान |
| केंद्रीकरण | केंद्रीयकरण |
| खम्भा | खंबा |
| खेतिहर | खेतीहर |
| गरूड़ | गरूण |
| ग्रहीत | गृहीत |
| गायिका | गाइका |
| गृहिणी | गृहणी |
| गृहस्थ | ग्रहस्थ |
| घनश्याम | घनश्याम |
| घण्टा | घन्टा |
| घनिष्ठ | घनिष्ट |
| चाँद | चांद |
| चाबी | चाभी |
| चहारदीवारी | चारदीवारी |
| चक्षु | चच्छु |
| जाग्रत | जागृत |
| जाए | जाये |
| ज्योति | जोति |
| जय हिंद | जै हिंद |
| ज्येष्ठ | जेष्ठ |
| ज्योत्स्ना | ज्योत्सना |
| झूठा | झूटा |
| झण्डा | झन्डा |
| टिप्पणी | टिप्पड़ी |
| ढक्कन | ढक्कण |
| तेजोमय | तेजमय |
| तात्कालिक | तत्कालिक |
| तदुपरान्त | तदोपरांत |
| तिलाञ्जलि /तिलांजलि | तिलाञली /तिलांजली |
| त्यौहार | त्योहार |
| तदनन्तर | तदंतर |
| द्व्न्द्व | द्व्न्द |
| दु:ख | दुख |
| दधीचि | दधिच |
| द्वारका | द्वारिका |
| दुरवस्था | दुरावस्था |
| दण्ड | दंड |
| धुरन्धर | धुरंधर |
| निबंध | नीबंध |
| नूपुर | नुपुर |
| निरपेक्ष | निर्पेक्ष |
| नीरोग | निरोग |
| नवनिहाल | नौनिहाल |
| नि:स्वार्थ | निस्वार्थ |
| नि:संदेह | `निसंदेह |
| नीति | नीत |
| पंचम | पंचम् |
| परम | परम् |
| पाण्डेय | पाण्डे |
| प्रेमचन्द | प्रेमचंद्र |
| पूज्य /पूजनीय | पूज्यनीय |
| पैतृक | पैत्रिक |
| पश्चिम | पश्छिम |
| पुरस्कार | पुरूस्कार |
| प्रगति | प्रगती |
| प्रतिच्छाया | प्रतिछाया |
| पौरूष | पोरूष |
| फीस | फिस |
| बिन्दु | बिंदू |
| भावी | भाबी |
| भुजंगिनी | भुजंगनी |
| भागीरथी | भगीरथी |
| भाग्यवान् | भाग्यमान |
| भरत | भरथ |
| माननीय | मान्यनीय |
| मिष्टान्न | मिष्ठान्न |
| मैथिलीशरण | मैथलीशरण |
| महत्त्वाकांक्षी | महत्वाकांक्षी |
| मच्छर | मक्षर |
| मेघनाद | मेघनाथ |
| मृण्मय | मृन्मय |
| यथार्थवाद | यर्थाथवाद |
| यौवन | योवन |
वाक्य में अशुद्धियाँ विभिन्न रूपों में पायी जाती है जैसे – लिंग ,वचन , कारक , विभक्ति , संज्ञा , सर्वनाम आदि | नीचे कुछ अशुद्ध वाक्यों के शुद्ध रूप दिये जा रहे है | जिसका अवलोकन करने के पश्चात पाठकगण किसी भी अशुद्ध वाक्य को शुद्ध कर सकते है |
संज्ञा सम्बंधी अशुद्धि – संज्ञा सम्बंधी अशुद्धियों के शुद्ध रूप निम्न प्रकार हैं |
| अशुद्ध प्रयोग | शुद्ध प्रयोग |
| मै आपसे सोमवार के दिन मिलूँगा | | मै आपसे सोमवार को मिलूँगा | |
| सुभाषचंद बोस के संदेशों से देश सर्वाधिक प्रभावित हुआ | | सुभाषचंद्र बोस के संदेश से देश सर्वाधिक प्रभावित हुआ | |
| मुझे सफल होने की निराशा है | मुझे सफल होने की आशा नहीं है | |
| अशुद्ध प्रयोग | शुद्ध प्रयोग |
| रोहित आया और कहा | रोहित आया और उसने कहा | |
| मेरे को दही माँगता है | | मुझको दही चाहिए | |
| यह मेरा मित्र है , ये मेरे साथ रहता है | | यह मेरा मित्र है , जो मेरे साथ रहता है | |
| तेरे को क्या चाहिए ? | तुम्हें क्या चाहिए ? |
| अशुद्ध प्रयोग | शुद्ध प्रयोग |
| मोहन लगभग दौड़ रहा था | | मोहन दौड़ रहा था | |
| शकुंतला अत्यंत ही सुन्दर थी | | शकुंतला अत्यंत सुंदर थी | |
| गुलाब का फूल सुकोमल होता है | गुलाब का फूल कोमल होता है | |
| मेरा और आपका घोर सम्बंध है | मेरा और आपका घनिष्ठ सम्बंध है | |
| अशुद्ध प्रयोग | शुद्ध प्रयोग |
| राम और सीता वन को गई | | राम और सीता वन को गए | |
| बबिता नृत्य करता है | | बबिता नृत्य करती है | |
| अभिषेक को बहुत आनंद आती है | | अभिषेक को बहुत आनंद आता है | |
| मोर नाचती है | | मोर नाचता है | |
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