लोकोक्ति का अर्थ एवं परिभाषा –

लोकोक्ति शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है – लोक +उक्ति |अर्थात् ऐसी उक्ति जो किसी क्षेत्र विशेष में किसी विशेष अर्थ की ओर संकेत करती है ,लोकोक्ति कहलाती है | इसे कहावत, सुक्ति आदि नामों से जाना जाता है| लोकोक्ति लोक, अनुभवों पर आधारित ज्ञान होता है |
. वासुदेव शरण अग्रवाल के अनुसार -“लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सुत्र है |”

वाक्य प्रयोग करने के नियम –

वाक्य प्रयोग करने के सामान्य नियम निम्न है –
1- सर्वप्रथम लोकोक्ति का अर्थ जानना आवश्यक है |
2- इसके बाद एक सार्थक वाक्य का निर्माण करेंगे |
3- वाक्य इस प्रकार होना चाहिये जो लोकोक्ति के अर्थ को व्यक्त करता हो ,परंतु वाक्य प्रयोग में लोकोक्ति का अर्थ नही लिखा जाता , बल्कि लोकोक्ति को ही वाक्य प्रयोग में लिखा जाता है |
4- उदाहरण के रुप में यदि हम ” जिसकी लाठी उसकी भैंस “लोकोक्ति का वाक्य प्रयोग करेंगे तो सबसे पहले उसके अर्थ पर ध्यान देंगे |इस लोकोक्ति का अर्थ है – “शक्तिशाली ही विजयी होता है “| वाक्य प्रयोग इस प्रकार करेंगे कि”शक्तिशाली ही विजयी होता है” अर्थ न लिख कर” जिसकी लाठी उसकी भैंस” लिखेंगे |
जैसे -बदमाशों के सामने लोग इसलिये नही बोलतें हैं कि उनके सामने बोलना जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली बात होगी|

प्रमुख लोकोक्तियाँ ( कहावतें )

लोकोक्तियाँ ( कहावतें ) अर्थ
अंधा बाँटे रेवड़ी ( शीरनी) घरै घराना खाय सारा लाभ अपनों में ही वितरण करना
अधजल गगरी छलकत जाय थोड़ी विद्या या धन पाकर इतराना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है
अपनी – अपनी ढपली, अपना- अपना राग विचारों की भिन्नता होना
अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना स्वयं की प्रसंशा करना
अँधेर नगरी चौपट राजा मूर्ख और विद्वान दोनों के साथ एक जैसा व्यवहार
अंधे के आगे रोवै , अपना दीदा खोवै दु:ख सुनाने पर ध्यान न देना
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता
अक्ल बड़ी या भैंस शारिरिक ताकत से ज्यादा महत्ता बुद्धिमत्ता की है |
अपनी दही को कोई खट्टा नहीं कहता अपनी वस्तु को कोई बुरा नहीं कहता
अपना हाथ, जगन्नाथ अपने द्वारा किया गया कार्य , फलदायी होता है |
अपनी करनी पार उतरनी व्यक्ति को अपने कर्म का फल स्वयं भोगना पड़ता है |
अरहर की टट्टी गुजराती ताला छोटी वस्तु की सुरक्षा में अधिक खर्च
अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान यदि भगवान की कृपा हो तो अयोग्य भी योग्य बन जाता है
अंधों में काना राजा अज्ञानियों में अल्पज्ञ का सम्मान होना
आ बैल मुझे मार बेवजह झगड़ा मोल लेना
आँख के अंधे नाम नयनसुख नाम के अनुरूप गुण का न होना
आँख एक नहीं कजरौटा दस –दस व्यर्थ आडम्बर
आई मौज फकीर की , दिया झोपड़ा फूँक विरक्त व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करता
आगे नाथ न पीछे पगहा जिसका कोई न हो
आगे कुआँ पीछे खाई चारों ओर संकट ही  संकट
आटा – दाल का भाव मालूम पड़ना कठिनाई का अनुभव होना
आधा तीतर आधा बटेर बेतुका मेल
आठ कनौजिया ,नौ चुल्हे मेल में न रहना
आदमी पानी का बुलबुला है मनुष्य का जीवन नश्वर है
आप भला तो जग भला सभी अपने जैसा दिखाई देना
आय थे हरि भजन को ओटन लगे कपास मुख्य कार्य को छोड़कर अन्य कार्य में लग जाना
आसमान से गिरा खजूर में अटका एक मुसीबत से निकल कर दूसरे में फंस जाना
आम के आम गुठलियों के दाम दोहरा लाभ
आम खाने से मतलब , पेड़ गिनने से क्या लाभ सिर्फ अपने मतलब की ही बात करना
आप मियाँ जी माँगते द्वार खड़े दरवेश जिनके पास स्वयं कुछ नहीं हैं , वे दूसरे की सहायता क्या करेंगे |
आधी छोड़ पूरी को धावे , आधी मिले न पूरी पावे, आधी तज सारी को धावे ,आधी रहे न सारी पावे अधिक लालच करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता
आई तो रोजी , नही तो रोजा कमाने पर खाना अन्यथा उपवास
इतनी सी जान गज भर की जवान उम्र के हिसाब से अधिक बोलना
ईंट का जवाब पत्थर से देना अत्यधिक कड़ा जवाब देना
ईश्वर की माया , कहीं धूप कहीं छाया भाग्य की गति विचित्र होती है |
उतर गई लोई क्या करेगा कोई इज्जत जाने पर भय कैसा
उत्तम खेती मध्यम बान ,निकृष्ट चाकरी भीख निदान खेती का पेशा श्रेष्ट है
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे दोषी व्यक्ति द्वारा निर्दोष पर दोष लगाना
उधार का खाना , पुलाव का तापना उधार का धन अधिक समय तक नहीं टिकता
ऊँट के मुँह में जीरा अधिक खाने वाले को थोड़ा भोजन
ऊँट की चोरी निहुरे –निहुरे बड़ा काम लुक छिपकर नहीं होता |
ऊधो का लेना न माधो का देना अपने ही काम से काम रखना
एक अनार सौ बीमार वस्तु कम चाहने वाले अधिक
एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा एक के साथ दूसरा दोष
एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है एक बुरा आदमी सारे समाज को गंदा करता है |
एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी अपराध करके उल्टे रौब दिखाना
एक ही थैली के चट्टे बट्टे एक जैसे दुर्गुण वाले
एकै साधे सब सधे मूल कार्य पर ध्यान देना चहिए
ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता है |
ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर जानबूझकर कठिन कार्य लेने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए |
कहाँ राजा भोज , कहाँ गंगू तेली बेमेल एकीकरण
कंगाली में आटा गीला एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत का आ जाना |
कहीं की ईंट , कहीं का रोड़ा  , भानमती ने कुनबा जोड़ा बेमेल बस्तुओं को जोड़कर कुछ बना लेना
कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर समय बदलता रहता है |
काठ की हाँड़ी बार –बार नहीं चढ़ती कपटपूर्ण व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
काम का न काज का दुश्मन अनाज का बिना काम किये बैठे –बैठे खाना
कोयले की दलाली में मुँह काला बुरे काम से बुराई मिलना
कौआ चला हंस की चाल दूसरों की नकल करना
कभी घी घना , कभी मुठ्ठी भर चना , कभी वह भी मना जो कुछ मिले उसी में संतोष
का वर्षा जब कृषि सुखाने काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है |
खोदा पहाड़ निकली चुहिया कठिन परिश्रम का थोड़ा परिणाम
खग जाने खग ही कै भाषा समान प्रकृति वाले एक दूसरे को समझ लेते है |
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है देखा – देखी काम करना
खिसियानी बिल्ली खम्बा नोंचे अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना
खाली बनिया क्या करे , इस कोठी का धन उस कोठी धरे बेकार आदमी उल्टा –सीधा कार्य करता रहता है |
खेत खाए गदहा ,मार खाए जोलहा दोष किसी का दंड किसी को
गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज ढोंग रचना
गंजेड़ी यार किसके ,दम लगाई खिसके मतलबी लोग स्वार्थ साधने के बाद साथ छोड़ देते है‌ |
गंगा गये गंगादास, जमुना गये जमुनादास अवसर के अनुसार सिद्धांत बदलने वाला
गये रोजा छुड़ाने ,नमाज गले पड़ी सुख प्राप्ति का कारण दु:ख पड़ा
गुरू कीजै जान , पानी पीजै छान सोच – समझकर कोई काम करना
गोद में छोरा ,शहर में ढ़िंढ़ोरा वस्तु पास में हो , परंतु तलास दूर तक हो
घर का भेदी लंका ढाए आपसी फूट हाँनि का कारण बनती है |
घर का जोगी जोगना , आन गाँव का सिद्ध अपने लोगों को आदर न देकर दूसरों को सम्मान देना
घर की मुर्गी , दाल बराबर अपने घर के गुणी व्यक्ति का सम्मान न करना
घी का लड्डू टेढ़ा भी भला अच्छी वस्तु का रूप रंग नहीं देखा जाता
घोड़ा घास से दोस्ती करे तो खाये क्या धंधे में रियायत अच्छा नही होता
चोर –चोर मौसेरे भाई एक से स्वभाव वाले
चोर की दाढ़ी में तिनका अपराधी व्यक्ति सदैव सशंकित रहता है |
चिराग तले अंधेरा अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए कंजूस होना
चट मगनी पट ब्याह तत्काल कार्य का होना
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात सुख थोड़े दिन का ही होता है |
चौबे गये छब्बे बनने दूबे बनके आ गये लाभ के स्थान पर हानि का होना
छाती पर मूंग दलना कोई ऐसा कार्य करना जिससे आपको और दूसरों को कष्ट हो
 छछुंदर के सिर पर चमेली का तेल अयोग्य आदमी को अच्छी चीज देना
छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छूरी पर दोनो तरह से हानि ही हानि
छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ , बड़े मियाँ सुभान- अल्लाह अवगुणों में बड़ा छोटे से भी आगे
जंगल में मोर नाचा किसने देखा अनुपयुक्त स्थान में गुण दिखाना
जबरा मारे रोने न दे अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है |
जहाँ चाह वहाँ राह इच्छाशक्ति हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है |
जाके पाँव न फटी बिवाई , उ का जानै पीर पराई दूसरे का कष्ट वही समझ सकता है , जिसे स्वयं कष्ट हुआ हो
जिसकी लाठी उसकी भैंस शक्तिशाली की ही विजय होती है |
ज्यादा जोगी मठ उजाड़ अधिक नेतृत्व से काम बिगड़ जाता है |
ज्यों –ज्यों भीगे कामरी त्यों –त्यों भारी होय समय व्यतीत होने के साथ जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं |
झूठ के पाव नहीं होते असत्य अधिक समय तक नहीं टिकता
झूठहि लेना ,झूठहि देना , झूठहि भोजन ,झूठ चबैना हर कार्य में बेइमानी करना
टके की चटाई , नौ टका बिदाई लाभ की अपेक्षा अधिक खर्च
ठोकर लगे तब आँख खुले कुछ गवाँकर ही समझ आती है |
डूबते को तिनके का सहारा विपत्ति के समय थोड़ी सी सहायता भी बहुत मालुम पड़ती है |
ढाक के तीन पात सदैव एक सी स्थिति में होना
ढोल में पोल दिखावटी शान
तू डाल –डाल , मैं पात –पात चालाकी समझ जाना
तुरंत का दान , महाकल्याण शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए
तेली का तेल जले ,मशालची का दिल जले उपकार कोई करे , ईर्ष्या किसी और को हो |
थोथा चना बाजे घना कम जानकार व्यक्ति अधिक बाते करता है |
दुबिधा में दोनों गये , माया मिली न राम संशय की स्थिति में कुछ भी प्राप्त नहीं होता है
दुधारू गाय की लात भी अच्छी जिससे लाभ हो उसकी बुरी बात भी अच्छी लगती है |
दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है एक बार धोखा खाने के बाद लोग सावधानी बरतते हैं |
दान की बछिया के दॉत नही देखे जाते खैरात में मिली वस्तु के गुण – अवगुण नहीं देखे जाते
देशी मुर्गी विलायती बोल किसी की नकल में अपनापन छोड़ना
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का जिसका कहीं सम्मान न हो
धोबी पर बस न चले गदहवा के कान उमेठे ताकतवर के यहाँ न जाकर निर्बल पर गुस्सा उतारना
न नौ मन तेल होगा ,न राधा नाचेगी किसी काम को न करने का बहाना
नया नौ दिन पुराना सौ दिन नये से पुराना का अच्छा होना
नेकी कर दरिया में डाल जिसकी भलाई किये हैं उससे फल की आशा नहीं करनी चाहिए
न सावन सूखा , न भादो हरा सदैव एक सा बना रहना
नानी के आगे ननिहाल का बखान सम्पूर्ण जानकारी रखने वाले के सामने बताना
नीम हकीम खतरे जान अल्पज्ञान खतरनाक होता है |
न रहे बास न बजे बाँसुरी मूल कारण को ही समाप्त कर देना
न साँप मरे ,न लाठी टूटे बिना किसी को हानि पहुँचाये काम पूर्ण कर लेना
नौ दिन चले अढ़ाई कोस एक दम धीरे –धीरे कार्य करना
नौ सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चली जीवन भर कुकर्म करके अंत में साधू बनने का ढ़ोंग करना
नेकी और पूछ –पूछ भलाई करने के लिये पूछने की आवश्यकता नहीं होती
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पराधीनता में सुख नहीं होता है |
प्यासा कुएँ के पास जाता है कुआँ प्यासे के पास नहीं जिसको जरूरत हो वहीं पहले जाता है
पढ़े फारसी बेचे तेल , यह देखो कुदरत का खेल गुण के अनुरूप काम का न मिलना
पूत के पाँव पालने में ही पहचाने जाते है भविष्य की बात वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है |
पूत सपूत तो क्यों धन संचय , पूत कपूत तो क्यों धन संचय धन का संचय अच्छा नहीं होता
फलूदा खाते दाँत टूटे तो टूटे स्वाद के लिए नुकसान उठाना भी मंजूर
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मूर्ख गुणों का महत्व नहीं समझते
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह बड़े से अधिक छोटे का कार्य
बाप बड़ा न भइया , सबसे बड़ा रूपइया पैसा ही सब कुछ है |
बिन माँगे मोती मिले , मांगे मिले न भीख माँगने से कुछ नहीं मिलता
बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय जैसा करोगे , वैसा ही फल मिलेगा
बीती ताहि बिसारि दै , आगे की सुधि लेय पूर्व समय को भूलकर भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए
भाँगते भूत की लँगोटी ही भली जो कुछ मिल जाय वही बहुत है
भैस के आगे बीन बजाए, भैस बड़ी पगुराय मूर्ख के सामने ज्ञान की बात करना बेकार है
भई गति साँप छछूंदर केरी असमंजस की स्थिति में पड़ना
मतलबी यार किसके , दम लगा के खिसके स्वार्थी होना
मियाँ की जूती,मियाँ का सर अपने ही चाल में मात खा जाना
मियाँ की दौड़ मस्जिद तक सीमित क्षेत्र का होना
मन के हारे हार है , मन के जीते जीत हार जीत मन के ऊपर निर्भर करता है |
मेरी बिल्ली मुझी को म्याऊँ जिसका खाए उसी पर रौब
मुख में राम बगल में छूरी कपटपूर्ण व्यवहार
योगी था सो उठ गया , आसन रही भभूत पुराना गौरव समाप्त
रस्सी जल गई , पर बल न गया दिखावटी शान
राम ने मिलाई जोड़ी , एक अंधा एक कोढ़ी बराबर का मेल हो जाता है
राम नाम जपना, पराया माल अपना दिखावटी भक्त लेकिन असलियत में ठग
लातों के भूत बातों से नहीं मानते बिना दण्डित किये सुधार नहीं होता
ले दही , दे दही गरज का सौदा
विधि का लिखा को मेटन हारा भाग्य में जो लिखा है , अवश्य होगा
शौकीन बुढिया चटाई का लहंगा अवस्था के अनुसार आचरण का न होना
सौ सुनार की एक लुहार की बलवान का एक चोट ही काफी होता है
सवेरे का भूला साँझ को घर आ जाय तो उसे भूला नहीं कहते गलती सुधार लेने वाला दोषी नहीं होता
साँच को आँच क्या ? सच्चे को डर किस बात का
सारी रात मिमियानी , एक ही बच्चा बियानी प्रयास की अपेक्षा लाभ कम
होनहार बिरवान के होत चीकने पात महानता के लक्षण प्रारम्भ से ही प्रकट हो जाते है
हर्रा लगे न फिटकरी , रंग चोखा होय खर्च कुछ भी न हो , काम भी बन जाय
हाथ कंगन को आरसी क्या प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है |

 


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