विचारों के जीर्ण भवन को ऊँचा न और उठाना है नूतन ईंटों को जोड़-जोड़ मानव मूल्यों का भव्य प्रासाद बनाना है, आज क्रांति फिर लाना है। गतिहीन, दिशाहीन समाज को देकर सही दिशा फिर से गतिमान बनाना है, आज क्रांति फिर लाना है। निराशा के घिरते बादल नभ में चहुँ ओर, कर संधान बाण का […]
Read More...माँ याद तुम्हारी मुझे तब आई माँ याद तुम्हारी मुझे तब आई जब सबने रिस्ता तोड़ दिया सुख मे सबने साथ दिया दुख मे अकेला छोड़ दिया माँ एक तुमने ही मुझे आँख का तारा कहकर मेरा मान बढ़ाया है बाकि दुनिया ने धोखा देकर हमेशा मुझे झुकाया है माँ एक तुमने ही मुझे उंगली […]
Read More...“नारी जो हम सभी का दुख हर लेती हैं हम उसे ही क्यों दुख देते हैं” “नारी जो हमारे घर का मान-सम्मान बढ़ाती हैं फिर हम उससे ही उसका मान-सम्मान क्यों छीन लेते हैं” “नारी जो कभी किसी मुसीबत से ना हारे हम उससे उसकी इज्ज़त ही छीन कर क्यों हरा देते हैं” “नारी जो […]
Read More...कुछ तो बाकी है…. दोस्तों की दोस्ती में मेरा किरदार कुछ बाकी है, तुम मिल ना सके कुछ वक़्त के लिए मगर हर वक़्त इंतजार बाकी है, तुम सब जिंदगी में वो एहसास हो मेरे मस्ती भरा वो लम्हा बाकी है, ना लड़ाई है,ना झगड़ा है, सबको अपनी अपनी मजबूरी ने जकड़ा है फिर भी […]
Read More...तेरा स्पर्श, तेरा एहसास, वो आलिंगन किया जाना, तेरे होने से मेरा इस जहांन में, यूँ जिया जाना, वो तेरी गोद में सिर रख करके, दुनिया भूल ही जाना, तेरी ममता की आँचल में यूँ, वो अमृत का पिया जाना, कभी खुद के ही आँसू पोंछ कर, यूँ चुप करा जाना, कभी गोदी, कभी कंधे […]
Read More...मुझको याद नहीं कब पापा संग में मेरे रहते थे, गोदी में कब खेली उनके कब उनसे में बोली थी। नील गगन में उड़ते पंछी मुझको भी संग ले ले तू तुझ संग उड़कर नील गगन में मैं भी नभ छू आऊंगी संग तेरे पंखों का पाकर पापा से मिल आऊंगी मॉ से सुना है […]
Read More...केरल में वार्षिक आता है, दस दिवसीय एक त्यौहार, फसल कटाई का त्यौहार, ओणम का प्यारा त्यौहार ! कोलावर्षम के छिंगम माह, ग्रेगोरियन के अगस्त माह, ओणम का प्यारा त्यौहार! अदरक इलायची धान पके, धन आगमन झूमे किसान, करते पूजा श्रावण देवता, पुष्प देवी रंगोली समर्पित, ओणम का प्यारा त्यौहार! सूर्य चले सिंह राशि ओर, […]
Read More...सुख में सबके संग होती हूं, दुख में अकेली रह जाती हूं। दुनिया की नज़रों में मै कुदरत का करिश्मा कहलाती हूं, मेरा परिचय किसी का मोहताज नहीं, अपनी कहानी अपनी जुबानी में कहती हूं, मै वो आग हूं सीने की जो चूल्हों में झोक दी जाती हूं, आंखो में उड़ने का ख्वाब लिए , […]
Read More...कौवा काला कोयल काली, रंग दोनों का एक समान l एक कर्कश दूजी मधुर, अंतर दोनों में जमीन आसमान l एक अनादरित दूजा समादरित, होते दोनों अपनी जुबान l सर्वग्राही मानव की होती, सदा इसी से ही पहचान l मधुर आचरण जुबा सरस व्यक्ति, हर जगह पुकारे जाते हैं l धूर्त और मक्कार लोग, हर […]
Read More...एक कवि, ….. डूबना चाहता है उस रस में जो, प्रतिदिन सुप्त होता जा रहा है सांसारिक क्रिया में। जगाना चाहता है जन जन में वह मधुरता जो होनी चाहिए थी, किन्तु रही नहीं। समेट लेना चाहता है सारा मीठापन शब्दों में, चुन चुनकर भिगोता है शब्द, संजोता सुगन्धित कर उन्हें ताकि महक […]
Read More...Please donate for the development of Hindi Language. We wish you for a little amount. Your little amount will help for improve the staff.
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