काल

काल

– काल का शाब्दिक अर्थ है – समय | अत: काल क्रिया के उस रूपांतर को कहते है , जिसके माध्यम से कार्य व्यापार ,पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध होता है | जैसे- संकल्प खेल चुका है | साक्षी पढ़ती है | मैं विद्यालय जाऊँगा | बच्चे खेल रहे थे |आदि
काल के भेद – काल के तीन भेद है –
1. वर्तमान काल
2. भूत काल
3. भविष्य काल

1. वर्तमान काल –

जिस क्रिया के माध्यम से यह जाना जा सके कार्य वर्तमान काल में सम्पन्न हो रहा है | वर्तमान काल कहा जाता है | जैसे – पूजा जाती है |संकल्प पढ़ता है | सुशील गाना गाता है |
वर्तमान काल के भेद –
(i) सामान्य वर्तमान काल
(ii) पूर्ण वर्तमान काल
(iii) तात्कालिक वर्तमान काल
(iv) सम्भाव्य वर्तमान काल
(v) संदिग्ध वर्तमान काल
(i) सामान्य वर्तमानकाल –क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि क्रिया वर्तमान समय में है , उसे सामान्य वर्तमान काल कहा जाता है | जैसे –मैं पढ़ता हूँ | वह जाता है | तुम खाते हो ,हम जाते है | आदि
(ii) पूर्ण वर्तमान काल- क्रिया का वह रूप जिससे कार्य की पूर्णता का बोध (ज्ञान) वर्तमान काल में हो , उसे पूर्ण वर्तमान कहा जाता है | जैसे – सुशील ने पुस्तक पढ़ी है | संकल्प ने खाया है | आदि
(iii) तात्कालिक वर्तमान काल – क्रिया का वह रुप जिससे यह ज्ञात हो कि कार्य लगातर हो रहा है |कार्य की पूर्णता का बोध नहीं होता है , उसे तात्कालिक वर्तमान कहते हैं | जैसे – वह जा रहा है | पूनम आ रही है |
(iv) सम्भाव्य वर्तमान काल – क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के होने की सम्भावना का बोध (ज्ञान ) हो ,उसे सम्भाव्य वर्तमान काल कहते है | जैसे- देखो, वह घर पर आया हो | वह लेटा हो |
(v) संदिग्ध वर्तमान काल – क्रिया का वह रूप जिससे किसी कार्य के करने या होने में संदेह का बोध हो ,उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है | उदाहरण – पूजा खेलती होगी | रजनीश पढ़ता होगा | आदि

2. भूत काल –

जिस क्रिया से कार्य की समाप्ति का बोध हो , उसे भूतकाल कहते है | जैसे – अपर्णा घर गयी | वह चला गया |
भूत काल के भेद – भूत काल के छह भेद है –
(i) सामान्य भूत काल
(ii) आसन्न भूत काल
(iii) पूर्ण भूत काल
(iv) अपूर्ण भूत काल
(v) संदिग्ध भूत काल
(vi) हेतुहेतुमद् भूत काल
(i) सामान्य भूतकाल – क्रिया का वह रूप रूप जिससे कार्य के समाप्ति की सामान्य सूचना प्राप्त होती है | उसे सामान्य भूतकाल कहते है | उदाहरण – श्याम गया | मैंने खाया | आदि
(ii) आसन्न भूतकाल- क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के समाप्ति की निकटता स्पष्ट हो अर्थात् तत्काल कार्य समाप्ति की सूचना हो तथा यह भी ज्ञात हो कि उसका प्रभाव अभी है | आसन्न भूतकाल कहा जाता है | उदाहरण – सोहन अभी आया है | अभी –अभी साक्षी सो गयी है |
(iii) पूर्ण भूतकाल- क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के समाप्ति का स्पष्ट रूप से बोध ( ज्ञान ) हो , उसे पूर्ण भूत काल कहते है | उदाहरण – संकल्प मेरे यहाँ आया था | उसने किताब पढ़ी थी |
(iv) अपूर्ण भूतकाल- क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के समाप्ति की अपूर्णता का बोध हो,उसे अपूर्ण भूतकाल कहते है | इस काल में कार्य के समाप्ति का पता नही होता है | उदाहरण – साक्षी नाच रही थी | नेहा पुस्तक पढ़ रही थी | संकल्प सो रहा था |
(v) संदिग्ध भूतकाल – क्रिया का वह रूप जिसमें कार्य के पूरा होने में संदेह प्रकट होने का बोध हो ,उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है | उदाहरण – वह गया होगा | संकल्प खाना खा लिया होगा | शायद आपने मुझे देखा होगा |
(vi) हेतुहेतुमद् भूतकाल- क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में सम्पन्न होने वाली थी परंतु किसी कारणवश नही हो सकी | उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते है | उदाहरण – यदि पप्पू पढ़ता तो परीक्षा में पास हो जाता | वे खेलते | आदि |

3. भविष्य काल –

जिससे यह ज्ञात हो कि यह कार्य आने वाले समय में हो या होना सूचित करता है | उसे भविष्य काल कहा जाता है | उदाहरण – संकल्प विद्यालय जयेगा | साक्षी गाना गायेगी | आदि
भविष्य काल के भेद – भविष्य काल के तीन भेद है –
(i) सामान्य भविष्य काल
(ii) सम्भाव्य भविष्य काल
(iii) हेतुहेतुमद् भविष्य काल
(i) सामान्य भविष्य काल –क्रिया के जिस रूप में भविष्य में होने का सामान्य रुप से पता चलता है , उसे सामान्य भविष्य काल कहते है |उदाहरण – खुशी खाना खायेगी | साक्षी खेलने जायेगी | सानू पढ़ेग़ा | आदि
(ii) सम्भाव्य भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने या करने की सम्भावना का बोध हो ,उसे सम्भाव्य भविष्य काल कहते है | उदाहरण शायद ,मोहन आये | लगता है , राधा चली जायेगी |
(iii) हेतुहेतुमद् भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से एक्ज कार्य के पूरा होने दुसरे के क्रिया पर निर्भर होता हो | उसे हेतुहेतुमद् बह्विष्य काल कहते है | उदाहरण – यदि अवकाश मिलेगा तो मैं आगरा जाऊँगा | आप कमायँ तो हम खाएँ | बच्चे पढेंगे तो सफल होंगे |


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