रक्तिम् – भँवर

🌾रक्तिम – भँवर🌾 ——————– ——————— भर – भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों का हर्ष ? मन्द हसित , स्वर्ण पराग सी , विरह में प्रिय का प्रिय आह्वान , या सोच रहे किस- क्रुर प्रहार से छुटा […]

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शक्ति- पुँज

धन -धान्य संपदा यौवन जिनके भूतल में समाये जन्मभूमि के रक्षक जिनने अनेकों प्राण गवाये। जिनके आत्म- शक्ति धैर्य से अगणित अरि का दमन हुआ देखा जग अकूत शौर्य तप, त्याग, तेज का नमन हुआ। जिनके भीषण संघर्ष विशाल में असंख्य अनेक लुप्त विलीन लाखों गौरव को खोकर भी रह न सके हा! हम स्वाधीन। […]

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मज़बूरी

लो  आज़  फिर कहीं पर एक और भारत मर गया करना था कुछ और पर कुछ और  ही  कर गया तलाश उसकी रोटी की आज   भी   जारी    थी करता भी क्या,बेबस था उसकी इतनी लाचारी थी बेदर्द  मौसम  का   कहर बस उस पर ही बरस गया लो आज़  फिर  कहीं पर एक और भारत मर  […]

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मंगल नववर्ष मनायेंगे

मंगल नववर्ष मनायेंगे मंगल नववर्ष मनाएँगे ———— गाँव-गाँव में शहर-शहर में, कैसी छायी उजियाली है; खेतों में अब नव अंकुर , नव बूंद से छायेगी हरियाली है | बहुत कुहासा बीत चुका अंतर्मन का ठिठोर मिटा, नवचेतन में नवबहार-बसंत, प्रकृति का सुंदर अभिलेखा | नवजागृत , नुतन, नव-स्नेह का, कैसी दीखती परिभाषा है; हर प्राणी […]

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धरणी नववर्ष

धरणी नववर्ष ————————— क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इस राहों में यह नववर्ष कभी स्वीकार नहीं । अभी ठंड है सर्वत्र कुहासा , अलसाई अंगड़ाई है, ठीठुरी हुई धरा – नील-गगन, कैसी सुंदरता ठिठुराई है। बाग बगीचों में नहीं नवीनता, नहीं नूतन पल्लवों का उत्कर्ष ; विहगों का […]

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आज़ाद गज़ल

बाज़ार से तू बेज़ार क्यूँ है खुद से इतना खार क्यूँ  है । हसरतें तू हैसियत में रख पाले ख्वहिंशे हज़ार क्यूँ है । मुफलिसी महबूबा है तेरी समझ ,तुझ से प्यार क्यूँ है । फ़िर से चुनाव आने को है जाना मेहरबाँ सरकार क्यूँ है हस्ती है इनकी तुझसे अजय वरना सांसे मददगार क्यूँ […]

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नियुक्ति की तड़फ

ख़ुशी हैं शिक्षकों के दामन में, पर हंसी के लिये हक नहीं. हर नज़र है वाट्सएप पर, पर नियुक्ति की ख़बर नहीं. आंखो में है नींद भरी, पर सोने का चैन नहीं. हर चयनित है दुख से भरा, पर सुनने को कोई है नहीं. सारे नाम मोबाइल में है, पर बात के लिये मन नहीं. […]

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शारदे मां

तू है मेरी अब शारदे मां मेरी जिंदगी को तार दे मां मैं हूँ शरण में तेरी मैया मुझको इक संसार दे मां नफरतो को दूर कर के हर दिलों को प्यार दे मां जब हर तरफ फैली तबाही हम आस तेरी ही लगायी काम क्रोधी मोह पालक तू किया सबका बिदारक कष्ट लेकर के […]

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कविता

*जिंदगी की दौड़* व्यर्थ की लिप्सा है ,लोगों जिन्दगी की दौड़ में। हाथ न कुछ आ सका है, जिंदगी की दौड़ में।। कभी शह कभी मात, शतरंज के ज्यूँ खेल में। हार जीत मिलती रहे ये, जिन्दगी की दौड़ में।। जीते जी मर जाते हैं नफरतों के शहर में। सिवाय बुराई के कुछ न मिलता, […]

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एक लङकी

आँखों को मूँदे, बैठी हैं कोने में “वो” ! कभी आंसू आए , तो कभी मुस्कराए “वो” ! रिश्तों को निभाए । अपने आप में मस्त, दिल की परतों को खोले, पर राज़ गहरे छुपाएं हैं “वो” ! एकान्त में अकेली नहीं हैं “वो” ! दोस्त हैं गहरे अंधेरे में, जिसे देख न सके कोई […]

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