कविता

दीप ज्योति शत शत नमन तिमिर को दूर करती दीपज्योति तुम्हें मेरा शत शत नमन न कभी हारती न होती निराश अनवरत जलती रहती तुम लाख कोशिश करता कोई तुम्हें बार बार बुझाने की मगर तुम कालिमा हटाती ऊर्ध्व ही बढ़ती जाती सदा तुम्हें शत शत नमन लोग करते स्वागत तुम्हारा अर्चना के पुष्प चढ़ाकर […]

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इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए

  इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए जिनसे रौशन है हुश्न, उन्हीं को बर्बाद कीजिए गर पूरी होती हो यूँ ही आपके ख़्वाबों की ताबीरें तो खुद को बुलबुल और मुझे सैय्याद कीजिए ये कि क्या हुज़्ज़त है आपके नूर-ए-नज़र होने की दिल की बस्तियाँ लुट जाएँ,और फिर हमें याद कीजिए जो थे […]

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मैं तुम्हें संवरता हुआ देखूँगा

जब ये संसार खोज रहा होगा जीवन दूर किसी ग्रह के कोने में जब एक देश दूसरे देश से पुनः युद्ध करेगा मसालों के लिए   जब दूसरे राज्य की रानियां बनाई जा रही होंगी दासियां किसी अन्य राज्य के राजा की जब पुनः काटे जा रहे होंगे हाथ कारीगरों के जो प्रयास में थे […]

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आखिर ऐसी क्यूँ है तू माँ…!

“आखिर ऐसी क्यूँ है तू माँ…” —————————– घर से बाहर जाते बखत तेरी आँखों से न ओझल हो जाऊ मैं उस हलक तक मुझे निहारती रहती है तू आखिर ऐसी क्यूँ है तू माँ…।   तेरे टूट जाने में ही मेरा बनना तय था फिर भी बेशर्म-सा उग रहा था मैं और ख़ुशी-ख़ुशी ढ़ल रही […]

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मेरी रचना

भगवान पर कभी तु इतना विश्वास ना कर कभी किसी के चाहत मे तु इतना ना मर अपनो से लगाव सदा दर्द देता है बिछड जाए तो हर स्कून छीन लेता है अकेला ही आया था अकेला ही चला जाएगा गम के समन्दर मे तब तु गोते लगाऐगा मत भुलना कही ये मेरी नसीहत एक […]

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परमेश्वर

ना मै जमी पर हु ना आकाश मे  मै तो हु तेरे हर एक विश्वास मे तुम कब मुझे बुलाते हो अपने आवास मे मै तो बसता हु तेरी हर एक साँस मे 0                       जय सिह

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ये ढ़लती सी अश्रुत गोधूलि अकेली

ये ढ़लती सी अश्रुत गोधूलि अकेली, बो बदरंग बियावान शाम किनारा, कोई चला गया क्षितिज से परे, न जाने कब मिलना हो दोबारा।   ये अर्क फिर आयेगा, फिर महकेगा शाम किनारा, पुलकित व्योम पर फिर से होगा, सुरचापि रंगों का बसेरा।   पर वो रवि न जाने कब आएगा, जो मिटा सके मेरे हृदय […]

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शरणागत की गत

मानस का राजहंस मानसरोवर से भरी उड़ान जगत देखने को प्यासी आँखे सुख दुख का, करने अनुमान चुनकर पहुँचा राज दरबार अब उसकी नज़रों में सुखिया सब संसार क्योंकि उसकर सुख के सामान भरे पड़े आवश्यकतानुसार स्वच्छ हवा में उड़ने वाली नन्ही चिड़िया तिनका बिन बिन कर लाती नीड़ बनाती बारिश से पहले दाना पानी […]

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मंज़िल

                   मंज़िल नही बात ऐसी की तुम क़ाबिल नहीं। पर मेहनत पूरी, यहां शामिल नहीं ।। देख मुसीबत को घबरा ना जाना, मंज़िल पाना है तो पग पग बढाना ।। उठो राही और आगे सदा बढ़ते रहो, लगन प्रेम के हीरे, महफ़िल में जड़ते रहो ।। मंज़िल मिले, मन में यही चाह पलेगी, आज नहीं तो […]

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मैंने निगाहें चार कर ली हैं उनमें बातें हजार कर ली हैं   तेरी मोहब्बत का सहारा है कई दुश्मनों से पड़ा पाला है तेरे खातिर इस दुनिया से मैंने दुश्मनी आम कर ली है   मौसम बारिश का प्यार है श्यामल सी रात का घना साया है मैं तेरे ,तू मेरे आगोश में लिपटा […]

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