पहली बारिश …………….

बारिश की पहली बूंदा बारी। चूम चूम रही धरती आंगन। बारिश की पहली बूंदा बारी। चूम चूम रही धरती आंगन। महक महक मिट्टी महकाएं रही। मिठ्ठी, मिठ्ठी खुशबू आएं रही। चहक चहक चिड़िया चहकाएं रही। बारिश की और संकेत बतलाएं रही। बारिश की पहली बूंदा बारी। छम छम बिजलियाँ शोर मचाएं रही। गरज गरज बादल […]

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जन्माष्टमी पर कविता……..

कृष्णा जी का कहना। अब ना कोई बहाना चलना। मेरे जन्मदिन पर अवश्य आना। फूलों से मंदिर सजाना। प्यारे प्यारे वस्त्र पहनाना। सुंदर सुंदर श्रृंगार सजाना। वो ही नैनो में काजल। माथे पर मेरे मोर पंख सजाना। प्यारे प्यारे हाथों से मेरी नजर उतार डालना। मेरे जन्मदिन पर खुब धूम मचाना। ना कोई मोमबत्ती बुझाना। […]

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हे मेरे प्यारे कान्हा………….

हे मेरे प्यारे कान्हा। हे मेरे प्यारे कान्हा। तुझ पर क्या लिखुँ। क्या यशोदा का लाल लिखुँ। या नन्दबाबा का गोपाल लिखुँ। क्या देवकी का नन्दलाल लिखुँ। या वासुदेव का पुत्र लिखुँ। तु ही बता दे कान्हा क्या लिखुँ। जितना लिखुँ अपरिभाषित। क्युँकि तु सबसे अलहदा है। हे मेरे प्यारे कान्हा। तुझ पर क्या लिखुँ। […]

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बाबा की दुख भरी बातें……

काश मैं बता पाता। आज कुछ कह जाता। बेटियाँ बोझ नहीं। यह किसे समझा पाता। काश मैं बता पाता। आज कुछ कह जाता। बेटियाँ अनमोल है।परायी नहीं। कोमल है। कमजोर नहीं। काश इंसा मन सुलझा पाता। वो ही पागल मन समझा जाता। काश मैं बता पाता। आज कुछ कह जाता। बेटीयाँ ही कायर। क्युँ बेटा […]

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आफत लहर……..

उजड़ी बस्ती, उजड़ा घर। उजड़ी बस्ती, उजड़ा घर। बारिश की बूंद बनी एक महक। वो चिड़ियों की चहक। वो मिट्टी की महक। क्या हुआ एेसा मगर। क्या हुआ एेसा मगर। मानो बारिश बूंद बनी। मानो बारिश बूंद बनी। एक आफत लहर। सैकड़ो डगर हुए पतझर मगर। क्युँ हुएँ सैकड़ो बेघर। क्या था कोई पतझर। या […]

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ओ इन्द्र राजा…….

ओ इन्द्र राजा……. ना बरस इन्द्र राजा तु इतना। ना बरस इन्द्र राजा तु इतना। देख परेशान हो रहा किसान कितना। समय रहते तु ना बरसा। अब क्युँ तु बरसने को तरसा। अब क्युँ तु बरसने को तरसा। ओ इन्द्र राजा..ओ इन्द्र राजा.. क्युँ काली काली घटा छा रहा। बिन मौसम ही क्युँ तु बरस […]

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नवरात्री स्पेशल कविता……….

आ रहा नवरात्री का त्योहार। सज रहा नौ रूपों का दरबार। पहला रूप कहलाए रही। माता शैलपुत्री आए रही। अनुभव व भावना की देवी। माता शैलपुत्री कहलाए रही। दुसरा रूप कहलाए रही। माता ब्रह्मचारिणी आए रही। अन्नत में विधमान की देवी। माता ब्रह्मचारिणी कहलाए रही। तीसरा रूप कहलाए रही। माता चन्द्रघंटा आए रही। सुख दुख […]

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आखिर क्यों बनी बेटी ही कन्या भ्रुण हत्या कारण………

ओ प्यारी माँ……..ओ प्यारी माँ…… आज तेरा है अंतिम दिन। माँ एक सवाल पुछना। क्या जवाब दे पाओगी क्या। क्यों बेटे और बेटी में फर्क। क्या आज बता पाओगी क्या। क्या आज समझा पाओगी क्या। ओ प्यारी माँ……..ओ प्यारी माँ…… बेटे और बेटी दोनों तेरी ही कली। फिर क्युँ माँ बेटी ही मुरझाई कली। फिर […]

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प्रेम

बैठे बैठे आज अचानक ही मन में एक सवाल उमड़ आया प्रेम क्या है? क्या किसी को देख कर मन में उठने वाले आकर्षण के भाव को ही प्रेम कहते हैं? या एक दूसरे के पास रहना या एक दूसरे को पा लेना ही प्रेम का वास्तविक अर्थ है? नहीं प्रेम का वास्तविक अर्थ इतना […]

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गरीबी एवं किस्मत

बाज़ार में मसगूल था वो, मुनाफे की आस लगाए। कि आज उसके बच्चों को, दो वक़्त की रोटी नसीब हो जाए। गलियों में फिर रहा था, साइकिल की घंटी बजाता। सामानो से भरा पड़ा वो, रुपए 15 में हर सामान दिलवाता। कर्ज में डूबा परा वो, फिर भी चेहरे पर चमक थी। परिवार संग पर्व […]

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