सो गया साहित्य तो कवि क्या कहे, खो गयी यदि कलम तो कैसे सहे ? रो रही है लेखनी, कागज भरा है आंसुओं से , दुख रहे हैं नेत्र उसके पश्चिमी तम के धुओं से ! अजिर वंशज भानु के, पथ मांगते हैं उड्गनों से , चाह है नव-पल्लवों की तमस-युत ऊसर वनों से ! […]
Read More...हे मित्र ‘समय’ तुम रुको तनिक,अब कुछ कर लेना बाकी है मानव बनने में समय लगा, नर जीवन जीना बाकी है ! जब कदम चल पड़े उत्तरार्ध, चंचल मन क्यों तू विचलित है लेकर आता रवि तेज गगन, अवसान भी उसका निश्चित है बस वर्तमान में ही जी ले, ना भूत-भविष्यत् की चिंता क्या […]
Read More...बसंत ऋतु का हुआ आगमन, झूमें आम, कुसुमित डाली। पीली सरसो, लहर रही है, खेतों में है हरियाली। महक उठे हैं गाँव-गली सब, नयी उमंगे, हर मन में। हवा बसंती चले मस्त हो, थाप पड़े, उसकी तन में। चना, मटर, सरसो भी अब, फूलों से कर रहे सिंगार। गेहूँ,धनियाँ,पालक,मूली, हरियल चोला रहे निहार। दुल्हन के […]
Read More...अपने घर के आँगन में, बेटी का वृक्ष लगाओ तुलसी की तरह पूजो, फूलों की तरह सजाओ आने दो इस दुनिया में, कोख में ना बलि चढ़ाओ नन्हें हाथों को पकड़ के, शिक्षा का पथ दिखलाओ बेटी को बचाओ, बेटी को पढ़ाओ । लड़कियां ना होंगी तो, बेटी तुम किसे बुलाओगे रक्षा बंधन के […]
Read More...दिल में अव छा गया है जुनून मिलेगी शाँति जव लेगें खून का वदला खून तुमको है भारत माता की आन आतंकवाद का अव हो नामोनिशान…. सहनशीलता की अव हो गई हद पार उठो जागो नोजवानो तुमको है शहीदों की माँ की आन आतंकवाद का अव हो नामोनिशान…. मचा रहे हैं वह कत्लेआम शहीद पर […]
Read More...होनी के साए में पड़कर दिन रात बुरे हो जाते हैं इंसान बुरा नहीं होता है हालात बुरे हो जाते हैं रहें शांत और नैतिकता से अपना सदा लगाव रखें अहंकार की भाषा छोडे़ं दिल में सदा सद्भाव रखें अहंकार में रहने से ताल्लुकात बुरे हो जाते हैं इंसान बुरा नहीं होता है हालात बुरे […]
Read More...रात्रि का प्रचण्ड तमस विकल,विवश मेरा मनस् एक रश्मि–रेख-अभीप्सा ऊर्ध्वरेता, सुविकम्पित ; प्राण अवहेलित,हृदय पर दंश का वह दर्द विखंडित, शूल-प्रभृत अणु-अणु से रक्त-शोषण में है सन्नद्ध . नहीं मुझे था ज्ञात किंचित अम्ल-सदृश प्रेम – पीड़ा दग्ध – विरूपित मुझे करेगी अणु – अणु से, आत्म-वपु से . कण्ठ व्रण-आवृत अचल स्वरहीन, किन्तु […]
Read More...**********बुधवा********* —————————————– हरिराम का शव धीरे धीरे अकड़ता जा रहा था। आखिर कब तक एक लाश सही हालत में रह सकती थी? लेकिन हरिराम का छोटा लड़का बुधवा करे भी तो क्या करे? हरिराम के मरते ही उसने अपने दोनों बड़े भाइयों को टेलीग्राम करके पिता के मरने की खबर कर दी लेकिन अभी तक […]
Read More...मैं चुप रह गई, क्योंकि मै एक औरत हूँ… मुझे माँ की कोख में मारा गया , मेरे वजूद को खत्म कर डाला गया , बार बार मेरा बलात्कार हुआ , इल्ज़ाम दोषी पर नहीं, मुझ पर लगा, सजा भी दोषी को नहीं, मुझको मिली , कपड़ों से लेकर मेरे चरित्र पर प्रश्नचिन्ह […]
Read More...किसी के बीमार होने पर, ठहर जाती हैं आँखें, उसकी जमीन पर घर के जेवरों पर, बेटे की तनख्वाह पर सच होती आशंकाएँ तार तार होती ज़िन्दगी फिर भी जिसे जाना था चला गया, छोड़ गया,सबको तिल-तिल मरने को| उसकी नासमझ बिटिया भी समझ जाती है, अंतिम बार देख रही है उसे, और शायद यही […]
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