बाबा के दिल का टुकड़ा।
बाबा के दिल का टुकड़ा।
बस है एक दिल का दुखड़ा।
क्युँ जल्द बड़ी होती ये बेटियाँ।
सहारा बन बन जाती परछाईयाँ।
क्युँ जल्द बड़ी होती ये बेटियाँ।
घुटने है दुखते तो मलहम लगाती।
ये बेटियाँ…….ये बेटियाँ………
छोटी थी जब बनता घोड़ा।
गुड्डे संग है खिलाता।
क्युँ जल्द बड़ी होती ये बेटियाँ।
बाबा के दिल का टुकड़ा।
है आखों का रेन बसेरा।
क्युँ जल्द बड़ी होती ये बेटियाँ।
परेशानी हो साथ खड़ी मिलती।
ये बेटियाँ……… ये बेटियाँ………
आखों में बसते सपने।
करते है बाबा पुरे।
क्युँ जल्द बड़ी होती ये बेटियाँ।
बाबा के दिल का टुकड़ा।
बस है एक दिल का दुखड़ा।

नाम = कविता संघवी
जन्म तिथि = 18/5/1998
स्थान = रामगंजमण्डी कोटा (राजस्थान)


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