काश मैं बता पाता।
आज कुछ कह जाता।
बेटियाँ बोझ नहीं।
यह किसे समझा पाता।
काश मैं बता पाता।
आज कुछ कह जाता।
बेटियाँ अनमोल है।परायी नहीं।
कोमल है। कमजोर नहीं।
काश इंसा मन सुलझा पाता।
वो ही पागल मन समझा जाता।
काश मैं बता पाता।
आज कुछ कह जाता।
बेटीयाँ ही कायर।
क्युँ बेटा ही उजागर।
यह किसे समझा पाता।
बेटियाँ ही अपशगुनी।
क्युँ बेटा ही शगुनी।
यह किसे समझा जाता।
वो ही पागल मन कैसे समझा पाता।
वो ही पागल मन कैसे बहला जाता।
काश मैं बता पाता।

नाम = कविता संघवी
जन्म तिथि = 18/5/1998
स्थान रामगंजमण्डी कोटा ( राजस्थान )


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