दुनियादारी के चक्कर में,
छूटल आपन गाँव ।

छूट गयल सब ताल तलैया,
बड़का बरगद के छाँव ।।

काली माई, डीह बाबा के
होइ गयल दुरलभ दर्शन।

सइयद बाबा, बरमबाबा बिन,
लागै नाही आपन मन ।।

छूट गयन सब संगी साथी,
रामायण गाइब छूट गयल ।

खेल कबड्डी छूटल भयवा,
पोखरा नहाइल छूट गयल ।।

ताजी ताजी मूरई, धनिया,
हरियर मरचा छूट गयल ।

ऊख चूहाई, साग खोटाई,
होरहा दाना छूट गयल ।।

शिवराती, होली
बड़का मेला छूट गयल ।

राम लक्ष्मण के रूप निकरै,
गाँव डरामा छूट गयल ।।

गुड़ के रस, आमे के पन्ना,
गर्मी के सतुआ छूट गयल ।

घर बाहर अमवा के नीचे,
बट्टी चोखा छूट गयल ।।

गाय भईस के फेनूस छूटल,
हर हरवाही छूट गइल ।

खेत कियारी हुक्का पानी,
प्रीत परानी टूट गइल……।।


(अविनाश राय भूमिहार)
ठेकमां आजमगढ़ . 276303


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