दुनियादारी के चक्कर में, छूटल आपन गाँव

दुनियादारी के चक्कर में, छूटल आपन गाँव । छूट गयल सब ताल तलैया, बड़का बरगद के छाँव ।। काली माई, डीह बाबा के होइ गयल दुरलभ दर्शन। सइयद बाबा, बरमबाबा बिन, लागै नाही आपन मन ।। छूट गयन सब संगी साथी, रामायण गाइब छूट गयल । खेल कबड्डी छूटल भयवा, पोखरा नहाइल छूट गयल ।। […]

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रोज सवेरे सूरज उगता ,और शाम को ढल जाता है

रोज सवेरे सूरज उगता ,और शाम को ढल जाता है मैं कुछ भी ना करता धरता,लेकिन वक़्त गुजर जाता है मुझको कोई काम नहीं है, फिर भी रहता बड़ा व्यस्त हूँ कई बार बैठे ठाले भी ,मै हो जाता बड़ा पस्त हूँ दिनचर्या वैसी बन जाती, जैसी आप बना लेते है छोटी छोटी बातों में […]

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