शीत-निशा

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?   कौन गोद में रैन- बसेरा, किस डाली पर दिवस बिताया ? किनको तुमने इतने दिन तक, अपनी साँसों से कंपाया ? होली, तीज, दिवाली बीती, क्या तुझको यह याद न आया अचरज! तुमने इतने हिम को, इतने दिन तक कहाँ छुपाया सरस गुदगुदी रातों को भी, ले अपने […]

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मैं नहीं मधु का उपासक

मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको !   कीर्ति, सुख, ऐश्वर्य, धनबल, बाहुबल और बुद्धि बंचित, सम्पदा से हीन हूँ मैं, फिर मुझे क्यों दम्भ होगा ? सत्य शिव का मैं पुजारी, मैं नहीं याचक बनूँगा, नहि जगत से बैर मेरा, स्वाभिमानी ढंग होगा ! शुद्ध मति के प्रेम से ही […]

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एक दीप स्वीकार करो माँ

अगणित दीपों के प्रकाश में, एक दीप स्वीकार करो माँ, कर प्रकाश निज हृदयपटल में,अंतर्मन के तिमिर मिटाएं मन के तम को करें पराजित, मानवता को गले लगाएं, मिथ्या, मृषा, अनृत के तम को,सारे जग से आज हरो माँ, अगणित दीपों के प्रकाश में, एक दीप स्वीकार करो माँ !1!   धर्म-मार्ग के गामी सब […]

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साहित्य- वेदना

सो गया साहित्य तो कवि क्या कहे, खो गयी यदि कलम तो कैसे सहे ? रो रही है लेखनी, कागज भरा है आंसुओं से , दुख रहे हैं नेत्र उसके पश्चिमी तम के धुओं से ! अजिर वंशज भानु के, पथ मांगते हैं उड्गनों से , चाह है नव-पल्लवों की तमस-युत ऊसर वनों से ! […]

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नरजीवन

हे मित्र ‘समय’ तुम रुको तनिक,अब कुछ कर लेना बाकी है मानव बनने में समय लगा, नर जीवन जीना बाकी है !   जब कदम चल पड़े उत्तरार्ध, चंचल मन क्यों तू विचलित है लेकर आता रवि तेज गगन, अवसान भी उसका निश्चित है बस वर्तमान में ही जी ले, ना भूत-भविष्यत् की चिंता क्या […]

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