किसी के बीमार होने पर,
ठहर जाती हैं आँखें,
उसकी जमीन पर
घर के जेवरों पर,
बेटे की तनख्वाह पर
सच होती आशंकाएँ
तार तार होती ज़िन्दगी
फिर भी जिसे जाना था चला गया,
छोड़ गया,सबको तिल-तिल मरने को|
उसकी नासमझ बिटिया भी
समझ जाती है,
अंतिम बार देख रही है उसे,
और शायद यही जीवन का सच है,
आत्मा अजर अमर है,
वह जाता नहीं ,वह मरता नहीं
मरता तो बस अतीत है ||
-मुदित मिश्रा
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