हिंदी के वाक्यो को संस्कृत भाषा मे अनुवाद करने के नियम निश्चित होते है | नियमो का पालन करके हम संस्कृत भाषा मे अनुवाद कर सकते है | अनुवाद करने के कुछ सामान्य नियम इस प्रकार है -
1:संस्कृत में तीन पुरुष होते है – i- प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष , ii- मध्यम पुरुष , iii- उत्तम पुरुष
2:संस्कृत म्रें तीन वचन होते है – i- एकवचन , ii- व्दिवचन ,iii-बहुवचन
3:संस्कृत में तीन लिंग होते है – i-पुल्लिंग ,ii-स्त्रीलिंग , iii-नपुंसकलिंग
4:अनुवाद करते समय सबसे पहले हम वाक्य का कर्त्ता पहचानना चाहिये |क्रिया से ‘कौन’ लगा कर प्रश्न करने से जो उत्तर मिलता है ,वह कर्त्ता होता है |जैसे -रमेश खेलता है | यदि कहा जाय- कौन खेलता है ? , इसका उत्तर होगा -रमेश | अत: इस वाक्य मे रमेश कर्त्ता है |
5:कर्त्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग होता है | अर्थात यदि कर्ता एक वचन है तो उसकी क्रिया भी एकवचन तथा यदि कर्ता व्दिवचन है तो उसकी क्रिया व्दिवचन और यदि कर्ता बहुवचन हो तो क्रिया भी बहुवचन होती है
6:प्राय: क्रियाओ के काल का बोध कराने के लिए 5 लकारो का प्रयोग होता है , जो निम्न है –
(i) लट्लकार -वर्तमान काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठति |
(ii)लड्.लकार -भूतकाल काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: अपठत् |
(iii)लृट लकार -भविष्यत् काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठिष्यति |
(iv)लोट् लकार -आज्ञा देने या प्रार्थना करने की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे - त्वं पठ|
( v) बिधिलिंग लकार – चाहिये या उपदेश आदि की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे -स:
पठेत्|
7. कर्त्ता और क्रिया के पुरुष के वचन मे समानता होती है |अर्थात जिस पुरुष और जिस वचन मे कर्त्ता होगा क्रिया भी उसी पुरुष और वचन में होगी | कर्त्ता के लिंग का क्रिया पर कोई प्रभाव नही पड़ता है |
8. युष्मद् (त्वं-तुम आदि )के लिए मध्यम पुरुष , अस्मद् (अहम्-मैं ,हम आदि ) के लिए उत्तम पुरुष , तथा शेष सभी प्रकार के कर्त्ता के लिए प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष का प्रयोग होता है |
9.वर्तमान काल की वचन क्रिया में ‘स्म’ जोड़ देने से भूतकाल की क्रिया हो जाती है जैसे – स: पठति स्म =वह पढ़ा |
10. संस्कृत मे अनुवाद करते समय विभक्ति, कारक तथा उनके चिह्नों की जानकारी आवश्यक है |जिसका विवरण निम्न है –
विभक्ति | कारक | चिह्न (संकेत ) |
प्रथमा | कर्त्ता | ने |
व्दितीया | कर्म | को |
तृतीया | करण | से (सहायतार्थ ), के द्वारा |
चतुर्थी | सम्प्रदान | के लिए , को |
पंचमी | अपादान | से (अलग होने के अर्थ में) |
षष्ठी | सम्बंध | का, की, के, रा ,री ,रे, ना,नी,ने |
सप्तमी | अधिकरण | में ,पे, पर |
सम्बोधन | सम्बोधन | हे,ओ,अरे,भो |
[इस तालिका के माध्यम से वचन ,पुरुष तथा क्रिया को अनुवाद करते समय प्रयोग विधि को समझाया गया है | इस तालिका का अवलोकन अवश्य करें ]
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष(अन्य पुरुष ) | बालक: पठति | (लड़का पढ़ता है |) स: पठति| (वह पढ़ता है | ) |
बालकौ पठत: | (दो लड़के पढ़ते है | ) तौ पठत: | ( वे दोनो पठते है | ) |
बालका: पठन्ति | (लड़के पढ़ते हैं | ) ते पठन्ति | ( वे सब पढ़ते हैं | ) |
मध्यम पुरुष | त्वम् पठसि | ( तुम पढ़ते हो |) |
युवाम् पठथ: | ( तुम दोनों पढ़ते हो |) |
यूयम् पठथ | ( तुम सब पढ़ते हो|) |
उत्तम पुरुष | अहम् पठामि | (मैं पढ़ता है |) |
आवाम् पठाव: ( हम दोनों पढ़ते हैं |) |
वयम् पठाम: | ( हम सब पढ़ते हैं |) |
1. प्रथम पुरुष को अन्य पुरुष भी कहा जाता है |प्रथम पुरुष में युष्मद् शब्द के कर्त्ताओं तथा अस्मद् शब्द के कर्त्ताओं को छोड़ कर अन्य जितने भी कर्त्ता होते है , वे सब प्रथम पुरुष के अंतर्गत आते हैं | जैसे- स: , राम: , बालक: , मोहन:, सीता , बालिका आदि |
2. मध्यम पुरुष में केवल युष्मद् शब्द के तीन कर्त्ता ( त्वम् , युवाम्, यूयम् ) का प्रयोग होता है | इसके अतिरिक्त कोई अन्य कर्त्ता प्रयुक्त नही होता है |
3. उत्तम पुरुष में केवल अस्मद् शब्द के तीन कर्त्ता (अहम् ,आवाम्, वयम् ) का प्रयोग होता है | इसके अतिरिक्त कोई अन्य कर्त्ता प्रयुक्त नहीं होता हैं |
4. प्रत्येक लकार के तीन पुरुष होते है तथा प्रत्येक पुरुष के तीन वचन होते है | इस प्रकार प्रत्येक धातु के नौ रुप होते हैं |
5. तालिका में लट् लकार के माध्यम से अनुवाद को समझाया गया है | अन्य लकारों में ऊपर दिये गए नियमों के अनुसार अनुवाद कर सकते हैं |
पाँच लकारों के उदाहरण –
1. लट्लकार –रमा पाठं पठति |
2. लड्.लकार-यूयम् अगच्छत |
3. लृटलकार – ते पठिष्यन्ति |
4. लोट्लकार – त्वं सत्यं वद |
5. बिधिलिंग – मानव: प्रतिदिनं ईश्वरं स्मरेत् |
हिंदी वाक्य | संस्कृत अनुवाद |
मेरे मित्र ने पुस्तक पढ़ी I | मम मित्रं पुस्तकं अपठत् I |
वे लोग घर पर क्या करेंगे I | ते गृहे किम करिष्यन्ति I |
यह गाय का दूध पीता है I | सः गोदुग्धम पिवति I |
हम लोग विद्यालय जाते है I | वयं विद्यालयं गच्छाम: I |
तुम शीघ्र घर जाओ I | त्वं शीघ्रं गृहम् गच्छ I |
हमें मित्रों की सहायता करनी चाहिये I | वयं मित्राणां सहायतां कुर्याम I |
विवेक आज घर जायेगा I | विवेकः अद्य गृहं गमिष्यति I |
सदाचार से विश्वास बढता है I | सदाचारेण विश्वासं वर्धते I |
वह क्यों लज्जित होता है ? | सः किमर्थम् लज्जते ? |
हम दोनों ने आज चलचित्र देखा I | आवां अद्य चलचित्रम् अपश्याव I |
हम दोनों कक्षा में अपना पाठ पढ़ेंगे | | आवां कक्षायाम् स्व पाठम पठिष्याव: I |
वह घर गई I | सा गृहम् अगच्छ्त् I |
सन्तोष उत्तम सुख है I | संतोषः उत्तमं सुख: अस्ति I |
पेड़ से पत्ते गिरते है I | वृक्षात् पत्राणि पतन्ति I |
मै वाराणसी जाऊंगा I | अहं वाराणासीं गमिष्यामि I |
मुझे घर जाना चाहिये I | अहं गृहं गच्छेयम् I |
यह राम की किताब है I | इदं रामस्य पुस्तकम् अस्ति I |
हम सब पढ़ते हैं I | वयं पठामः I |
सभी छात्र पत्र लिखेंगे I | सर्वे छात्राः पत्रं लिखिष्यन्ति I |
मै विद्यालय जाऊंगा I | अहं विद्यालयं गमिष्यामि I |
प्रयाग में गंगा -यमुना का संगम है | | प्रयागे गंगायमुनयो: संगम: अस्ति | |
हम सब भारत के नागरिक हैं | | वयं भारतस्य नागरिका: सन्ति | |
वाराणसी गंगा के पावन तट पर स्थित है | | वाराणसी गंगाया: पावनतटे स्थित: अस्ति | |
वह गया | | स: आगच्छ्त् | |
वह किसका घोड़ा है ? | स: कस्य अश्व: अस्ति ? |
तुम पुस्तक पढ़ो | | त्वं पुस्तकं पठ | |
हम सब भारत के नागरिक हैं | | वयं भारतस्य नागरिका: सन्ति | |
देशभक्त निर्भीक होते हैं | | देशभक्ता: निर्भीका: भवन्ति | |
सिकन्दर कौन था ? | अलक्षेन्द्र: क: आसीत् ? |
राम स्वभाव से दयालु हैं | | राम: स्वभावेन दयालु: अस्ति | |
वृक्ष से फल गिरते हैं | | वृक्षात् फलानि पतन्ति | |
शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया | | शिष्य: गुरुं प्रश्नम् अपृच्छ्त् | |
मैं प्रतिदिन स्नान करता हूँ | | अहं प्रतिदिनम् स्नानं कुर्यामि | |
मैं कल दिल्ली जाऊँगा | | अहं श्व: दिल्लीनगरं गमिष्यामि | |
प्रयाग में गंगा-यमुना का संगम है | | प्रयागे गंगायमुनयो: संगम: अस्ति | |
वाराणसी की पत्थर की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं | | वाराणस्या: प्रस्तरमूर्त्तय: प्रसिद्धा: | |
अगणित पर्यटक दूर देशो से वाराणसी आते हैं | | अगणिता: पर्यटका: सुदूरेभ्य: देशेभ्य: वाराणसी नगरिम् आगच्छन्ति | |
यह नगरी विविध कलाओ के लिए प्रसिद्ध हैं | | इयं नगरी विविधानां कलानां कृते प्रसिद्धा अस्ति | |
वे यहा नि:शुल्क विद्या ग्रहण करते हैं | | ते अत्र नि:शुल्कं विद्यां गृह्णन्ति | |
वाराणसी में मरना मंगलमय होता है | | वाराणस्यां मरणं मंगलमयं भवति | |
सूर्य उदित होगा और कमल खिलेंगे | | सूर्य: उदेष्यति कमलानि च हसिष्यन्ति | |
रात बीतेगी और सवेरा होगा | | रात्रि: गमिष्यति, भविष्यति सुप्रभातम् | |
कुँआ सोचता है कि हैं अत्यन्त नीच हूँ | | कूप: चिन्तयति नितरां नीचोsस्मीति | |
भिक्षुक प्रत्येक व्यक्ति के सामने दीन वचन मत कहो | | भिक्षुक! प्रत्येकं प्रति दिन वच: न वद्तु | |
हंस नीर- क्षीर विवेक में प्रख्यात हैं | | हंस: नीर-क्षीर विवेक प्रसिद्ध अस्ति | |
सत्य से आत्मशक्ति बढ़ती है | | सत्येन आत्मशक्ति: वर्धते | |
अपवित्रता से दरिद्रता बढ़ती है | | अशौचेन दारिद्रयं वर्धते| |
अभ्यास से निपुणता बढ़ती है| | अभ्यासेन निपुणता वर्धते | |
उदारता से अधिकतर बढ़ते है | | औदार्येण प्रभुत्वं वर्धते | |
उपेक्षा से शत्रुता बढ़ती है | | उपेक्षया शत्रुता वर्धते| |
मानव जीवन को संस्कारित करना ही संस्कृति है | | मानव जीवनस्य संस्करणाम् एव संस्कृति: अस्ति |
भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है | | भारतीया: संस्कृति: सर्वश्रेष्ठ: अस्ति | |
सभी निरोग रहें और कल्याण प्राप्त करें | | सर्वे संतु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यंतु च | |
काम करके ही फल मिलता है | | कर्म कृत्वा एव फलं प्राप्यति | |
हमारे पूर्वज धन्य थे | | अस्माकं पूर्वजा: धन्या: आसन्| |
हम सब एक ही संस्कृति के उपासक हैं| | वयं सर्वेsपि एकस्या: संस्कृते: समुपासका: सन्ति | |
जन्म भूमि स्वर्ग से भी बड़ी है | | जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी| |
विदेश में धन मित्र होता है| | विदेशेषु धनं मित्रं भवति | |
विद्या सब धनों में प्रधान है | | विद्या सर्व धनं प्रधानम् | |
मनुष्य को निर्लोभी होना चाहिये | | मनुष्य: लोभहीन: भवेत्| |
आज मेरे विद्यालय मे उत्सव होगा| | अद्य मम् विद्यालये उत्सव: भविष्यति | |
ताजमहल यमुना किनारे पर स्थित है | | ताजमहल: यमुना तटे स्थित: अस्ति | |
हमे नित्य भ्रमण करना चाहिये | | वयं नित्यं भ्रमेम | |
गाय का दूध गुणकारी होता है | | धेनो: दुग्धं गुणकारी भवति | |
जंगल मे मोर नाच रहे हैं | | वने मयूरा: नृत्यन्ति | |
किसी के साथ बुरा कार्य मत करो | | केनापि सह दुष्कृतं मा कुरु| |
सच और मीठा बोलो | | सत्यं मधुरं च वद | |
Please donate for the development of Hindi Language. We wish you for a little amount. Your little amount will help for improve the staff.
कृपया हिंदी भाषा के विकास के लिए दान करें। हम आपको थोड़ी राशि की कामना करते हैं। आपकी थोड़ी सी राशि कर्मचारियों को बेहतर बनाने में मदद करेगी।
8924000911
Naic
9926764089
Good
9589900314
बहुत सुन्दर जानकारी
9708711788
बहुत बहुत सुंदर आपके जानकारी से मेरे बचपन के बीते दिनों याद आ गए
7206612471
Thankyou , you easy my work of Sanskrit