उपसर्ग वे शब्दांश हैं, जो किसी शब्द के पहले जुडते हैं, तथा उसके अर्थ को बदल देते हैं उपसर्ग कहे जाते हैं |
उदाहरण स्वरुप – ‘नाथ’ शब्द में यदि ‘अ’ उपसर्ग जोड दिया जाएँ तो नया शब्द अनाथ हो जायेगा | अब अनाथ शब्द का अर्थ होगा – जिसका कोई न हो |
प्रमुख उपसर्ग एवं उससे बनें शब्द –
उपसर्ग | मूल शब्द | नवीन शब्द |
अ | नाथ विश्वास धर्म चेतन | अनाथ अविश्वास अधर्म अचेतन |
अति | क्रम वृष्टि | अतिक्रम अतिवृष्टि |
अधि | कार मान | अधिकार अधिमान |
अप | मान शब्द वाद | अपमान अपशब्द अपवाद |
अनु | राग शासन करण | अनुरग अनुशासन अनुकरण |
आ | लेख हार | आलेख आहार |
उप | संहार मंत्री | उपसंहार उपमंत्री |
अभि | मान शाप | अभिमान अभिशाप |
कु | ख्यात | कुख्यात |
दुर | गुण | दुर्गुण |
ना | लायक | नालायक |
निर | भय | निर्भय |
परा | जय भव | पराजय पराभव |
प्रति | घात कूल | प्रतिघात प्रतिकूल |
वि | राग ज्ञान | विराग विज्ञान |
सु | लभ गम | सुलभ सुगम |
अन | जान मोल | अनजान अनमोल |
स | मान पूत | समान सपूत |
सह | योग मत | सहयोग सहमत |
प्र | हार योग | प्रहार प्रयोग |
अवि | विकार | अविकार |
अध | मरा | अधमरा |
बे | जान रहम | बेजान बेरहम |
परि | जन मार्जन | परिजन परिमार्जन |
कम | जोर | कमजोर |
सं | कार | संहार |
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प्रत्यय की परिभाषा –
जो शब्दांश किसी शब्द के अंत मे जुडकर उसके अर्थ को बदल देते हैं उसे प्रत्यय कहते हैं |
उदाहरण स्वरुप – ‘मीठा’ शब्द में ‘आई’ प्रत्यय जोडने से मिठाई शब्द बनता है |
प्रमुख प्रत्यय तथा उससे बने शब्द –
प्रत्यय | नवीन शब्द |
ता | लघुता,प्रभुता, महानता, सुन्दरता, कविता |
त्व | महत्व, अपनत्व, बंधुत्व, प्रभुत्व, ममत्व |
वट | थकावट, लिखावट, सजावट, गिरावट, बनावट |
आई | पढाई, लिखाई, हँसाई, कठिनाई, भलाई |
हट | जगमगाहट, घबराहट, गरमाहट |
पन | बचपन, बालकपन, पागलपन, भोलापन |
ईय | दैवीय, जातीय, पर्वतीय |
वान | पहलवान, धनवान, बलवान |
मान | अपमान, बुद्धिमान, सम्मान, गतिमान |
वा | दिखावा, पहनावा, भुलावा, छलावा |
वैया | गवैया, सवैया |
इक | दैनिक, सैनिक, दैहिक |
औती | कठौती, फिरौती |
आइन | पण्डिताइन, ठकुराइन, ललाइन |
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समास की परिभाषा –
समास शब्द का शाब्दिक अर्थ है – संक्षिप्त करना | जब दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों को मिला कर एक शब्द बना दिया जाय तो उस प्रक्रिया को समास कहा जाता है |
उदाहरणस्वरुप -महान है जो मानव = महामानव
समास के भेद :-
समास के मुख्यत: छ: भेद है –
(i) तत्पुरुष समास
(ii) व्दन्व्द समास
(iii) व्दिगु समास
(iv) कर्मधारय समास
(v) अव्ययीभाव समास
(vi) बहुव्रीहि समास
1.व्दन्व्द समास – जिस समास मे पूर्व पद तथा उत्तर पद दोनों प्रधान होते है तथा दोनो पदो के बीच में ‘और ‘ शब्द का लोप होता है |उसे व्दंव्द समास कहते है |
व्दन्व्द समास के उदाहरण -
समस्त पद | समास-विग्रह /td> |
माता-पिता माता और पिता | |
दिन-रात | दिन और रात |
पिता-पुत्र | पिता और पुत्र |
भाई-बहन | भाई और बहन |
पति-पत्नी | पति और पत्नी |
देश-विदेश | देश और विदेश |
गुण-दोष | गुण और दोष |
पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
अपना -पराया | अपना और पराया |
जीवन-मरण | जीवन और मरण |
अन्न-जल | अन्न और जल |
चावल-दाल | चावल और दाल |
चराचर | चर और अचर |
गंगा-यमुना | गंगा और यमुना |
हानि-लाभ | हानि और लाभ |
सुख-दु:ख | सुख और दु:ख |
भला-बुरा | भला और बुरा |
नर-नारी | नर और नारी |
अमीर-गरीब | अमीर और गरीब |
हाथ-पैर | हाथ और पैर |
दूध-दही | दूध और दही |
2.व्दिगु समास की परिभाषा-
जिस समास मे पूर्वपद संख्यावाचक तथा उत्तर पद संख्या का विशेष्य होता है उस समास को व्दिगु समास कहा जाता है |
व्दिगु समास का उदाहरण :-
समस्त पद | समास-विग्रह |
त्रिदेव | तीन देवों का समूह |
त्रिभुज | तीन भुजाओं का समूह |
त्रिलोक | तीन लोकों का समूह |
त्रिफला | तीन फलों का समूह |
त्रिशूल | तीन कांटों का समूह |
पंचवटी | पांच वटो का समूह |
पंचगव | पांच गायों का समूह |
दुधारी | दो धारवाला |
त्रिभुवन | तीन भुवनों का समूह |
अष्टाध्यायी | आठ अध्यायों का समाहार |
तिरंगा | तीन रंगो का समाहार |
चतुर्युग | चार युगो का समूह |
चतुष्पाद | चार पैरों का समूह |
सतसई | सात सौ दोहों का समूह |
चारपाई | चार पावों का समूह |
नवरत्न | नौ रत्नों का समाहार |
अष्टग्रह | आठ ग्रहों का समाहार |
दोपहर | दो पहरो का समाहार |
दशावतार | दस अवतारों का समूह |
शताब्दी | सौ वर्षो का समूह |
अष्टावक्र | आठ वक्रो का समूह |
सप्तर्षि | सात ऋषियों का समूह |
3.कर्मधारय समास की परिभाषा-
कर्मधारय समास में पहला पद विशेषण तथा उत्तर पद विशेष्य होता है, अथवा इस समास मे एक पद उपमेय तथा दूसरा पद उपमान होता है |
कर्मधारय समास के उदाहरण –
समस्त पद | समास-विग्रह |
विद्याधन | विद्या रूपी धन |
पीतवसन | पीला वस्त्र |
श्वेतकमल | सफेद कमल |
कृष्णसर्प | काला सर्प |
कुमाता | बुरी माता |
नीलकमल | नीला कमल |
चंद्रमुख | चंद्रमा के समान मुख |
घनश्याम | घन के समान श्याम |
मृगलोचन | मृग के समान नेत्र |
नरसिंह | नर रूपी सिंह |
महात्मा | महान आत्मा वाला |
महावीर | महान है जो वीर |
नीलगगन | नीला गगन |
रक्तवर्ण | लाल वर्ण |
कुबुद्धि | खराब बुद्धि |
शुभकर्म | अच्छा कर्म |
प्रधानाध्यापक | प्रधान है जो अध्यापक |
नीलगाय | नीली गाय |
चंद्रवदन | चंद्रमा के समान वदन |
4.बहुब्रीहि समास की परिभाषा –जिस समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद प्रधान न होकर अन्य पद प्रधान होता है उसे बहुब्रीहि समास कहते है |
बहुब्रीहि समास का उदाहरण :-
समस्त पद | समास-विग्रह |
लम्बोदर | लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश |
एकदंत | एक दांत है जिसके अर्थात् गणेश |
गजानन | गज के समान मुख है जिसका अर्थात् गणेश |
चतुरानन | चार है मुख जिसके अर्थात ब्रह्मा |
चक्रधर | चक्र धारण करने वाले अर्थात विष्णु |
त्रिनेत्र | तीन है नेत्र जिसके अर्थात शंकर |
गंगाधर | गंगा को धारण करने वाले अर्थात शंकर |
चंद्र्शेखर | चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात शंकर |
चन्द्रधर | चंद्र को धारण करने वाला अर्थात शंकर |
नीलकण्ठ | नीला है कण्ठ जिसका अर्थात शंकर |
त्रिलोचन | तीन नेत्र है जिसके अर्थात शंकर |
चंद्रचूड | चंद्र है चूडा पर जिसके अर्थात शंकर |
मुरलीधर | मुरली को धारण करने वाले अर्थात कृष्ण |
पीताम्बर | पीला है वस्त्र जिसका अर्थात कृष्ण |
षडानन | छ: मुख है जिसके अर्थात कार्तिकेय |
वीणापाणि | वीणा है हाथ मे जिसके अर्थात सरस्वती |
निशाचर | रात्री मे विचरण करने वाले अर्थात राक्षस |
विषधर | विष को धारण करने वाला अर्थात सर्प |
दशानन | दस मुख है जिसका अर्थात रावण |
पवनपुत्र | पवन के पुत्र है जो अर्थात हनुमान |
लम्बकर्ण | लम्बा है कान जिसका अर्थात गधा |
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तत्सम शब्द की परीभाषा -
संस्कृत भाषा के वे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रयोग मे लाये जाते है तत्सम शब्द कहे जाते है |
हम कह सकते है की संस्कृत निष्ठ शब्दो का हिंदी मे प्रयोग तत्सम कहा जाता है |
जैसे – अग्नि, अक्षि, कोकिल आदि |
तद्भव शब्द की परीभाषा- संस्कृत भाषा के वे शब्द जो प्राकृत, अपभ्रंश,पुरानी हिंदी आदि से परिवर्तन के कारण संस्कृत के मूल रूप से विकृत हो गये है तद्भव शब्द कहे जाते है | जैसे – आग ,आँख ,कोयल
आदि|
तत्सम और तद्भव शब्द के उदाहरण –
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
अग्नि | आग |
अंगुलि | उँगली |
स्तम्भ | खंभा |
अन्न | अनाज |
आर्द्र्क | अदरक |
अंगुष्ठ | अंगुठा |
कोकिल | कोयल |
काष्ठ | काठ |
ओष्ठ | ओठ |
अश्रु | आंसू |
क्षीर | खीर |
गर्दभ | गधा |
काक | कौआ |
अवगुण | औगुन |
अमावस्या | अमावस |
अद्य | आज |
अंधकार | अँधेरा |
श्रवण | सरवन |
अर्द्ध | आधा |
आश्चर्य | अचरज |
ग्रीवा | गर्दन |
आलस्य | आलस |
कर्म | काम |
इक्ष | ईख |
उच्च | ऊँचा |
घटिका | घडी |
कर्पूर | कपूर |
कंटक | काँटा |
कर्ण | कान |
कुमारी | कुँवारी |
कूप | कूआँ |
कुम्भकार | कुम्हार |
कीट | कीडा |
गोधूम | गेहूँ |
ग्राहक | गाहक |
प्रस्तर | पत्थर |
गृह | घर |
क्लेश | कलेस |
ग्राम | गाँव |
घृत | घी |
चंद्र | चाँद |
चर्म | चाम |
चर्मकार | चमार |
दधि | दहि |
कृपा | किरपा |
मृग | मिरग |
मनुष्य | मानुष |
कच्छप | कछुआ |
धूम्र | धुआँ |
सप्त | सात |
छत्र | छाता |
दंत | दाँत |
निद्रा | नींद |
प्रहेलिका | पहेली |
तडाग | तालाब |
दंड | डंडा |
कपोत | कबूतर |
वर्ष | बरस |
वधू | बहू |
वैर | बैर |
मक्षिका | मक्खी |
रोदन | रोना |
वानर | बंदर |
लक्ष | लाख |
सूर्य | सूरज |
चरण | चरन |
भ्राता | भाई |
पुष्प | फूल |
उष्ट्र | ऊँट |
सौभग्य | सुहाग |
छिद्र | छेद |
त्वरित | तुरंत |
मृत्यु | मौत |
वार्ता | बात |
पृष्ठ | पीठ |
पौष | पूस |
पुत्रवधू | पतोहू |
पंच | पाँच |
नक्षत्र | नखत |
वाष्प | भाप |
योगी | जोगी |
स्कंध | कंधा |
सूचिका | सुई |
नारिकेल | नारियल |
वणिक | बनिया |
मिष्ठान | मिठाई |
कार्तिक | कातिक |
स्तन | थन |
स्नेह | नेह |
श्रृंग | सींग |
सत्य | सच |
किसी भी शब्द के समान अर्थ देने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते है I जैसे-अग्नि शब्द के पर्यायवाची शव्द है – अनल ,पावक ,आग आदिI
ये शब्द अग्नि का ही अर्थ देते है इसलिये ये पर्यायवाची शब्द कहलाते है I
प्रमुख पर्यायवाची शब्दों की सूची-
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
अग्नि | आग,ज्वाला,अनल,पावक |
अंधकार | तम,अँधेरा,तिमिर |
अतिथि | मेहमान,आगंतुक,अभ्यागत |
असुर | दानव,राक्षस,निशाचर,यातुधान |
अश्व | तुरंग,वाजि,हय,घोटक |
आकाश | नभ,गगन,अम्बर,व्योम,आसमान |
आनंद | खुशी,उल्लास,हर्ष,प्रसन्नता |
अमृत | पीयूष,सुधा,अमी,सोम |
आभूषण | गहना,अलंकार,जेवर,भूषण |
आँख | नेत्र,लोचन,नयन,चक्षु,दृग |
इंद्र | महेंद्र,सुरेंद्र,पुरंदर,देवराज,सुरेश |
ईश्वर | परमात्मा,प्रभु,भगवान,अखिलेश |
इच्छा | कामना,मनोरथ,अभिलाषा,चाह |
उन्नति | प्रगति,विकास,उत्थान,उत्कर्ष |
उपवन | मदन,अनंग,मनोज,कंदर्प |
कामदेव | प्रगति,विकास,उत्थान,उत्कर्ष |
कोयल | वसंतदूत,कोकिला,पिक,कोकिल,श्यामा |
किनारा | कूल,तट,तीर,पुलिन |
किरण | रश्मि,अंशु,मरीचिका |
कृपा | मेहरबानी,अनुग्रह,अनुकम्पा,दया |
कृष्ण | माधव,गोपाल,मोहन,घनश्याम,केशव |
कमल | राजीव,सरोज,नीरज,पंकज,जलज,नलिन |
खल | दुर्जन,नीच,कुटिल,अधम |
गणेश | लम्बोदर,एकदंत,गजानन,गजवदन,गणपति |
गृह | घर,निकेतन,आलय,भवन,सदन |
गंगा | मंदाकिनी,त्रिपथगा,सुरसरिता,भागीरथी,अलकनंदा |
चंद्रमा | रजनीश,इंदु,सुधाकर,शशि |
चतुर | निपुण,प्रवीण,दक्ष,कुशल,योग्य,होशियार |
चाँदनी | कौमुदी,शशिकला,चंद्रिका,ज्योत्स्ना |
जल | वारि,नीर,पानी,सलिल |
जंगल | वन,विपिन,कानन,अरण्य |
तालाब | सरोवर,पुष्कर,जलाशय,तडाग,ताल |
तारा | नक्षत्र,सितारा,उडु,तारक |
तीर | बाण,सायक,शर,इषु |
तलवार | चंद्रहास,शमशीर,खड्ग |
दिन | दिवस,वासर, दिवा,वार |
देवता | सुर,देव,अमर |
देह | तन,वपु,शरीर,काया |
धनुष | कोदंड,धनु,शरासन,चाप |
नारी | महिला,रमणी,स्त्री,कामिनी |
नौका | नाव,तरिणी,पोत,तरी |
नौकर | भृत्य,परिचारक,सेवक,अनुचर |
पति | स्वामी,प्राणनाथ,भर्त्ता,आर्यपुत्र |
पत्ता | किसलय,पत्र,पर्ण,पल्लव |
पक्षी | विहग,खग,पखेरु,विहंगम,अंडज |
पत्नी | वामा,प्रिया,गृहिणी,अर्द्धंगिनी,दारा |
पताका | ध्वज,निशान,झंडा |
पत्थर | पाहन,प्रस्तर,पाषाण,अश्म |
पवन | वायु,समीर,अनिल,मारुत |
पिता | बाप,जनक,तात |
पुत्र | सुत,आत्मज,नंदन,तनय |
पुत्री | आत्मजा,सुता,तनया,बेटी,तनुजा |
पृथ्वी | वसुधा,वसुंधरा,अवनी,भू,धरती,धरा |
प्रकाश | रोशनी,प्रभा,ज्योति,छवि |
फूल | पुष्प,सुमन,कुसुम,प्रसून |
बालक | शिशु,लड़का,बच्चा,बाल |
बंदर | कपि,शाखामृग,मर्कट,वानर,हरि |
बादल | जलद,नीरद,पयोधर,पयोद,वारिद |
बिजली | दामिनी,चपला,चंचला,तड़ित |
ब्राह्मण | विप्र,भूदेव,व्दिज,भूसुर |
ब्रह्मा | अज,प्रजापति,स्वयंभू,विरंचि,विधाता |
भौंरा | मधुकर,भृंग,अलि,भ्रमर,मधुप |
मदिरा | शराब,सुरा,मधु,सोमरस |
माता | जननी,माँ,अम्बा,मातृ |
मछली | मीन,मत्स्य,मकर |
मृत्यु | मरण,निधन,देहांत,देहावसान |
महादेव | शिव,भुतनाथ,शम्भु,त्रिलोचन,शंकेर,भूतेश |
मित्र | सखा,मीत,सहचर,दोस्त |
माधुर्य | मधुरिमा,मिठास |
मुख | आनन,वदन,मुह |
मोक्ष | मुक्ति,कैवल्य,निर्वाण,परमपद |
यमुना | कालिंदी,रविसुता,तरणि-तनूजा,सुर्यतनया |
युद्ध | लड़ाई,समर,रण,संग्राम |
राजा | भूप,नृप,नरेश,महीप,नृपति |
रात्रि | रात,रजनी,निशा |
वर्षा | बरसात,पावस,चौमासा,मेह |
विष्णु | चक्रपाणि,नरायण,जनार्दन,गरुणध्वज |
लता | बेल,लतिका,बल्लि,वल्लरी |
लक्ष्मी | श्री,पद्म,चंचला,रमा,कमला |
सरस्वती | शारदा,वीणापाणि,वागेश्वरी |
सवेरा | सुबह,अरुणोदय,प्रात:,सुर्योदय |
सुगंध | महक,खुशबू,सौरभ |
सूर्य | भानु,भास्कर,रवि,दिवाकर,आदित्य |
सोना | स्वर्ण,हेम,कनक,कंचन,कुंदन |
हाथी | गज,हस्ती,गजेंद्र,दंती |
हंस | सरस्वतीवाहन,मराल,नीर-क्षीर-विवेक |
सिंह | शेर,केसरी,वनराज,मृगपति,नाहर |
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