मैंने निगाहें चार कर ली हैं
उनमें बातें हजार कर ली हैं
तेरी मोहब्बत का सहारा है
कई दुश्मनों से पड़ा पाला है
तेरे खातिर इस दुनिया से
मैंने दुश्मनी आम कर ली है
मौसम बारिश का प्यार है
श्यामल सी रात का घना साया है
मैं तेरे ,तू मेरे आगोश में लिपटा रहा
तुझे प्यार करने की हद भी ,हमने पार कर ली है
हकीकत मेरी तू, तू ही मेरा सपना है
गर हो जाये अपने पराये तो
फिर भी तू तो अपना है
मासूमियत से तेरी हमने ,
मोहब्बत तो बार-बार कर ली है
बेख़ौफ़ रहने लगे हैं हम
जबसे तेरा साथ पाया है
तू हमसफ़र मेरी, तुझे इबादत का घर बनाया है
इबादत करूँ हरदम तेरी,इसलिए
मूरत तेरी दिल में बसा ली है
मैंने निगाहें चार कर ली हैं
उनमें बातें हजार कर ली हैं
लवविवेक मौर्या उर्फ़ हेमू
पिरथीपुरवा,निघासन(खीरी)
7880380442
engineervivek143@gmail.com
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