शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

 

कौन गोद में रैन- बसेरा, किस डाली पर दिवस बिताया ?

किनको तुमने इतने दिन तक, अपनी साँसों से कंपाया ?

होली, तीज, दिवाली बीती, क्या तुझको यह याद न आया

अचरज! तुमने इतने हिम को, इतने दिन तक कहाँ छुपाया

सरस गुदगुदी रातों को भी, ले अपने ही साथ गई थी !

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

 

मैंने भी तो त्याग दिए थे, तुम बिन अपने सब आच्छादन

तुझ वियोग में फेंक दिए थे, सभी ओढ़नी और बिछावन

फिर ढूंढे हैं हर कोने से, सभी बिछौने- गरम रजाई

कौतूहल वस सजा दिए हैं, जब देखा तुम वापस आई

सच में तुझे देखने मेरी, दोनों अंखियाँ तरस गई थी

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

 

ज्येष्ठ धूप में देह तपायी, नव-बसंत मैंने खेला था

भादो के कारे मेघों को, बिना ओढ़नी के झेला था !

मन करता आलिंगन कर लूँ, तुझको दिल का हाल सुनाऊँ

विविध रंग देखे हैं पीछे, अब बीता इतिहास बताऊँ ?

एक समय धरणी में सारी, फूल-पत्तियां कुम्हल गई थी

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

 

अभी न जाना कहीं प्रिये तुम, अब कुछ दिन हम संग बिताएं

बीते बहुत दिनों में आई, अपने-अपने हाल सुनाएँ

तुम्हें देखकर हर्षित होगी, निश्चित ही संगिनि भी मेरी

संक्रांति भी तिल-लड्डू ले, खड़ी बाट जोहती तेरी

कुछ तो पता उधर का देदे, आज तलक तू जिधर गई थी

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

 

विघटित घर-परिवार आज अब, तुझको प्यार कहां कर सकते!

याद मात्र कर सकता हूं बस, दिन वे फिर वापस आ सकते ?

पूरा घर परिवार शीत में, साथ ओढ़ कर एक रजाई,

अंताक्षरी, पहेली, किस्से, ताप अंगीठी दिये सुनाई।

शिक्षाप्रद कुछ कथा-कहानी, बूढी़ दादी बता गई थी !

शीत-निशा तुम किधर गई थी ?

– नवीन जोशी  ‘नवल’


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नवीन जोशी का जन्म देवभूमि उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले में स्थित 'माला' गाँव में ६ जून १९७१ को एक ब्राह्मण परिवार में हुवा ! उनका पूरा नाम नवीन चंद्र जोशी है ! उनके पिता श्रीमान पं. पदमा दत्त जोशी एक किसान एवं संस्कृत के विद्वान थे, नवीन जोशी 'नवल' उनके (तीन पुत्रियां व तीन पुत्र) छः संतानों में पांचवे नंबर के हैं ! परिवार-जन बचपन से उन्हें प्यार से 'नवल' नाम से पुकारते रहे हैं ! उनकी बाल्यकाल से ही संस्कृत एवं हिंदी काव्य में रूचि थी ! विज्ञान विषयों से १२वीं करने के उपरांत आप अपने बड़े भाई श्री देवेंद्र जोशी (एम० ए०-अर्थशास्त्र), जो दिल्ली में कार्यरत हैं उनके साथ दिल्ली आ गए, जहाँ आकर उन्होंने आगे की पढाई भी स्नातकोत्तर (हिंदी), काम के साथ-साथ जारी रखी, साथ ही साथ अनेक सामाजिक संगठनों में सक्रिय हैं !

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