साक्षात्कार में सफल होने के आयाम –

साक्षात्कार शब्द को दार्शनिक आदि विषयगत अर्थो में प्रयोग किया जाता है | यहाँ हम नौकरी ( सरकारी या प्राइवेट ) के संदर्भ में अध्ययन करेंगे | साक्षात्कार या इण्टरव्यू प्रतियोगी छात्रों के लिए चर्चित शब्द है | साक्षात्कार को अंग्रेजी भाषा में इण्टरव्यू कहा जाता है | आज के दौर में सरकारी और गैर सरकारी सेवा में सफलता पाने का अंतिम परीक्षा के रूप में साक्षात्कार की उपयोगिता है | ऐसा नहीं है कि साक्षात्कार आधुनिक युग की देन है , प्राचीन समय में भी जबकि राजतंत्र का समय था उस समय भी पद की योग्यता सिद्ध करने के लिए सबके सामने अपनी योग्यता को सिद्ध करना होता था | योग्यता को परखने के लिए अनेक मापदण्ड हुआ करते थे |प्राचीन समय में जिन परीक्षाओं का आयोजन होता था उनमें प्रमुख थे – तीरंदाजी , तलवारबाजी ,घुड़सवारी , मल्ल-युद्ध , लक्ष्यभेद ,गदा-युद्ध में निपुणता,शास्त्रार्थ आदि |

अब हम आज के प्रतियोगी समय को ध्यान में रखकर चर्चा करेंगे | साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम चरण होता है | इसके बाद अंतिम रूप से चयनित होने के बाद उसे उस पद के योग्य समझकर पदासीन कर दिया जाता है | अभी तक हम प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक के साक्षात्कार के विषय की सामन्य जानकारी के बारे में चर्चा कर रहें थे | अब हमारा मुख्य ध्येय है कि साक्षात्कार में सफलता कैसे प्राप्त हो | साक्षात्कार में सफल होने के लिए किस प्रकार के प्रयास करने चाहिए | उसके लिए एक प्रतियोगी को आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार से तैयार रहना चाहिए | आगे इन सब बातों पर चर्चा की जायेगी |

आज के दौर में साक्षात्कार ,बोर्ड के अनुभवी लोगों द्वारा ली जाती है |जो यह जानने का प्रयास करते है कि जिस काम के लिए हमें कर्मचारी की आवश्यकता है, |अमुख व्यक्ति उस योग्य है या नहीं है | साक्षात्कार में व्यक्ति के किताबी ज्ञान के साथ –साथ उसके व्यवहारिक ज्ञान की भी परख होती है ,जिससे उसके व्यक्तित्व की जानकारी हो सके | एक प्रतियोगी छात्र में तार्किक क्षमता एवं उचित निर्णय और हाजिरजवाबी का होना नितांत आवश्यक है | साक्षात्कार लेने वाले के सम्मुख सहज भाव से अपनी बातों को रखे | किसी प्रकार का डर या हिचकिचाहट न रखे | छात्र को बातचीत या जवाब देने का तरीका इस प्रकार होना चाहिए; कि जिस प्रकार हम अपने मित्र आदि से बातें करते है | आप आत्मविश्वास से भरे हो | आंतरिक रूप से मजबूत हो | चेहरा प्रसन्नचित्त हो | यदि किसी प्रश्न का उत्तर आप को नहीं आ रहा हो तो ईमानदारी पूर्वक नहीं में उत्तर दें तथा भविष्य में उस पर ध्यान देने की बात कहकर उन्हे संतुष्ट करने का प्रयास करें | जिस नौकरी हेतु आप इण्टरव्यू देनी जा रहे है ; उसकी विषयगत जानकारी कण्ठस्थ रखे |जिससे आप प्रभावित कर सके |

संस्कृत भाषा में एक श्लोक है –

पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतम् धनम् |
कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद् धनम् | |

भावार्थ यह है कि – पुस्तकों में छापी गयी विद्या तथा दूसरे के हाथ में दिया गया धन , कार्य के उत्पन्न हो जाने पर यदि विद्या या धन आपको तत्काल नही मिलता है , तो न ही वह विद्या आपकी है और न ही वह धन आपका है | विद्या के संदर्भ में यदि हम बात करें तो उदाहरण के रूप में यदि आपसे कोई प्रश्न पूछा जाता है और उसका उत्तर आप तत्काल नहीं बता पाते है | और उसको बताने के लिए आप यह तर्क दें कि किताब में देखकर बता दूंगा तो उस विद्या का कोई प्रयोजन नहीं होता है |

साक्षात्कार के संदर्भ में तत्काल उत्तर की अपेक्षा की जाती है | आपके बताने का ढ़ंग , बातचीत का तरीका , भाषा शैली, प्रमुदित आभामंडल आदि साक्षात्कार के समय मायने रखते है |

एक सफल प्रतियोगी छात्र को साक्षात्कार के सम्बंध में निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है | जिससे सफलता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सके –

  1. साक्षात्कारकक्ष में जाते समय अनुमति अवश्य लें तथा अनुमति मिलने पर ही बैठे | यदि आप चाहे तो विनम्रता पूर्वक अनुमति मांग सकते हैं |
  2. आभामंडल प्रफुल्लित हो | किसी भी प्रकार का तनाव मुख मंडल पर प्रतिभाषित न हो |
  3. सकारात्मक सोच रखें |
  4. सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें ,यदि कोई प्रश्न न आता हो तो उसे विनम्रता पूर्वक स्पष्ट रूप से बता दे कि यह प्रश्न नहीं आ रहा है |
  5. अपने विषय के साथ साथ अन्य विषयों का भी सामान्य ज्ञान अवश्य रखे |
  6. जिस प्रकार आप अपने मित्रों के बीच अपनी बात को रखते है उसी प्रकार आपको बोर्ड के समक्ष अपनी बात रखनी है |
  7. जिस पद के लिये आपका साक्षात्कार लिया जा रहा है उसकी सूक्ष्म जानकारी अवश्य रखें |
  8. कभी – कभी बोर्ड के सदस्यों द्वारा ऐसी बात कहीं जाती है कि आप गुस्से में हो जाय , परंतु आपको सदैव शालीनता का ही परिचय देना है | सदैव मधुर वाणी में ही वार्तालाप करना है |
  9. साक्षात्कार लेने वाले से कभी प्रश्न न पूछे , बल्कि उनके द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दे |
  10. अपनी व्यक्तिगत परेशानियों का वर्णन कभी भी न करें |
  11. अपने आंतरिक गुणों को प्रकाशित करने की कोशिश करें , परंतु अपने से अपने गुणों का वर्णन न करे | गुणों का वर्णन स्वभावगत हो |

 

प्रवक्ता

हिंदी साक्षात्कार के संदर्भ में – हिन्दी विषय से जो छात्र साक्षात्कार देने जाते है , उन्हे क्या पढ़ना चाहिए, इस विषय पर चर्चा करेंगे | लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार लिया जाता है | साक्षात्कार बोर्ड यह जानने का प्रयास करता है कि इस छात्र को हिंदी की मौखिक एवं सूक्ष्म जानकारी की परख कहाँ तक है | हिंदी विषय के प्रतियोगी छात्र को हिंदी भाषा एवं साहित्य तथा समाज में उसके प्रयोग की जानकारी होना आवश्यक है | आदि काल से लेकर आधुनिक काल तक के प्रमुख कवियों एवं लेखकों की प्रमुख पंक्तियाँ कण्ठस्थ होनी चाहिए | जिससे आप प्रभावित करने में सफल हो सके | प्रत्येक काल की अवधारणा को भी समझने का प्रयास करें | व्याकरण के सम्बंध में परिभाषा उदाहरण सहित कण्ठस्थ करें | स्वयं में एकाग्रचित्त हो | छोटी – छोटी बातों पर उतावलापन न हो | इसी सब तथ्यों को ध्यान में रख कर तथा स्वयं भी सार्थक चिंतन के द्वारा साक्षात्कार में सफल हो सकते है |

 


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