कौवा काला कोयल काली, रंग दोनों का एक समान l
एक कर्कश दूजी मधुर, अंतर दोनों में जमीन आसमान l
एक अनादरित दूजा समादरित, होते दोनों अपनी जुबान l
सर्वग्राही मानव की होती, सदा इसी से ही पहचान l
मधुर आचरण जुबा सरस व्यक्ति, हर जगह पुकारे जाते हैं l
धूर्त और मक्कार लोग, हर दर दुतकारें जाते हैं l
मधुर और लचीला गुण ही, मनुष्य को महान बनाता है l
जाकर देखो बन में, द्रम पहले सीधा ही काटा जाता है l
इसलिए एकाकी नहीं सर्वग्राही बनो, पहले अभिमान गिराओ तुम l
फिर देखो जीवन की महक, सदा यूं ही मुस्कुराओ तुम l
RT.SINGH DNIC
Baghpat
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