केरल में वार्षिक आता है,
दस दिवसीय एक त्यौहार,
फसल कटाई का त्यौहार,
ओणम का प्यारा त्यौहार !
कोलावर्षम के छिंगम माह,
ग्रेगोरियन के अगस्त माह,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
अदरक इलायची धान पके,
धन आगमन झूमे किसान,
करते पूजा श्रावण देवता,
पुष्प देवी रंगोली समर्पित,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
सूर्य चले सिंह राशि ओर,
मंगल छाये श्रावण नक्षत्र,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
असुर देवता बडे़ महाबली,
इन्द्रलोक जीत का डंका,
पेश न पाया देव पुरंदर,
मच गया खूब हाहाकार,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
मात अदिति विष्णु ध्याये,
प्रकटे विष्णु दिया वरदान,
उदर तुम्हारे से जन्म लूंगा,
लौटाऊंगा भ्रात का राज,
वामन रुप अवतरित हुए,
प्यारे विष्णु जी महाराज,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
असुर महाबली के यज्ञ में,
आये विष्णु वामन रुप में,
यज्ञ गुरु दक्षिणा मांग कर,
तीन पग जमीं का वचन,
पहला पग भूलोक मापा,
दूजा पग आकाश मापा,
तीजे पग का वचन अधूरा,
देख महाबली सिर छुकाया,
इस तरह वामन छल से,
तीसरे पग माप में महाबली,
पाताल गये थे सिधार,
ओणम का प्यारा त्यौहार!
जन जन के मन बसा,
तब महाबली का प्यार,
ओणम का प्यारा त्यौहार!

रचनाकार: मुकेश भारती ( प्र० अ०)
प्रा० वि०- तिलियानी


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Mukesh Bharti

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