होगी विजय

 कर धैर्य धारण हे मनुज,

इस विकट भयंकर काल में।

रख हौसला अपने हृदय में,

गति रोक कर संयम बरत।

हर युद्ध की नीति अलग,

इतिहास को भी जान ले। जब शत्रु हो हमसे प्रबल,

जा दूर उससे हो अदृश्य।

दे तोड़ उसकी हर कड़ी,

कमजोर कर क्षण- क्षण उसे।

संकल्प ले निश्चित विजय का,

निडर बन, विश्वास दृढ़।

कहर कुदरत का कठिन,

दण्ड का रोना क्या रोना।

विष विषाणु से विक्षिप्त विश्व,

अदृश्य हो संग्राम कर।

तांडव कोई भी कोरॉना का,

टिक अधिक नहीं पाएगा।

होगी विजय हे भरत पुत्र,

धीर धर घर में ठहर।

निलेश जोशी

अध्यापक

रा उ प्रा वि, Kagadi

बाली, पाली(राज.)

Mo.  9694850450

 

इस विि


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