मंज़िल
नही बात ऐसी की तुम क़ाबिल नहीं।
पर मेहनत पूरी, यहां शामिल नहीं ।।
देख मुसीबत को घबरा ना जाना,
मंज़िल पाना है तो पग पग बढाना ।।
उठो राही और आगे सदा बढ़ते रहो,
लगन प्रेम के हीरे, महफ़िल में जड़ते रहो ।।
मंज़िल मिले, मन में यही चाह पलेगी,
आज नहीं तो कल सही, पर मंज़िल मिलेगी ।।
उठो, बढ़ते चलो, आराम न करना
मंज़िल पास है, विश्राम न करना ।।
-गोपाल सनोडिया
कृति वर्ष- 2010
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