आ रहा नवरात्री का त्योहार।
सज रहा नौ रूपों का दरबार।
पहला रूप कहलाए रही।
माता शैलपुत्री आए रही।
अनुभव व भावना की देवी।
माता शैलपुत्री कहलाए रही।
दुसरा रूप कहलाए रही।
माता ब्रह्मचारिणी आए रही।
अन्नत में विधमान की देवी।
माता ब्रह्मचारिणी कहलाए रही।
तीसरा रूप कहलाए रही।
माता चन्द्रघंटा आए रही।
सुख दुख की देवी।
माता चन्द्रघंटा कहलाए रही।
चौथा रूप कहलाए रही।
माता कूष्माण्डा आए रही।
प्राण शक्ति की देवी।
माता कूष्माण्डा कहलाए रही।
पांचवा रूप कहलाए रही।
माता स्कंदता आए रही।
बुद्धिमता, ज्ञान की देवी।
माता स्कंदता कहलाए रही।
छठा रूप कहलाए रही।
माता कात्यायनी आए रही।
अति गुप्त रहस्य की देवी।
माता कात्यायनी कहलाए रही।
सातवां रूप कहलाए रही।
माता कालरात्री आए रही।
रूप ज्ञान, वैराग्य की देवी।
माता कालरात्री कहलाए रही।
आंठवा रूप कहलाए रही।
माता गौरी आए रही।
सौन्दर्य की देवी।
माता गौरी कहलाए रही।
नंवा रूप कहलाए रही।
माता सिद्धिदात्री आए रही।
सिद्धि, क्षमता की देवी।
माता सिद्धिदात्री कहलाए रही।
आ रहा नवरात्री का त्योहार।
सज रहा नौ रूपों का दरबार।

नाम = कविता संघवी
जन्म तिथि = 18/5/1998
स्थान = रामगंजमण्डी कोटा (राजस्थान )


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