सुख में सबके संग होती हूं,
दुख में अकेली रह जाती हूं।
दुनिया की नज़रों में
मै कुदरत का करिश्मा कहलाती हूं,
मेरा परिचय किसी का मोहताज नहीं,
अपनी कहानी अपनी जुबानी में कहती हूं,
मै वो आग हूं सीने की जो चूल्हों में झोक दी जाती हूं,
आंखो में उड़ने का ख्वाब लिए ,
पिंजरे में डाल दी जाती हूं
उठना चाहूं अगर फिरसे तो परो से रोंद दी जाती हूं
लाख प्रतिभा हो मुझमें फिर भी हर कदम पर रोक दी जाती हूं,
में वो कली हूं उपवन की जो खिलते ही तोड़ ली जाती हूं,
कभी चरणों में तो कभी मस्तक पर बस यूंही चदा दी जाती हूं ,
खुद से ही जनमी इस दुनिया में में खुद को ही असुरक्षित पाती हूं,
हवस भरी इस दुनिया में मै हर रोज बेची जाती हूं,
तुम्हे इस दुनिया में लाने के लिए में मौत से भी लड़ जाती हूं,
फिर भी क्यों आगाज़ नहीं मै, क्यों आवाज नहीं मै,
क्यों मै बस एक नज़रिया मानी जाती हूं
क्यों में आते जाते लोगो का एक नज़रिया हूं,
क्यों शोर भरी इस दुनिया में , मै एक खामोशी हूं,
अपने इन हालातो की शायद में खुद भी उतनी ही दोषी हूं,
पर एक बात कहूं में ये दुनिया
में बिल्कुल तेरे ही जैसी हूं।
मै बेचैनी हूं उस मन की जो चेन से जीना चाहती हूं,
में ख्वाब हूं खुद की आंखो का जो पूरा होना चाहती हूं,
औरत हूं में कोई सामान नहीं,
बस औरत बन जीना चाहती हूं…….
Monika Sharma
Dhar , Madhya Pradesh
Age- 18 years
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