जीवन में उदगार स्थापित, मर्यादा से कर पाए।
आदर्श पूर्ण हो जीवन, सदमार्ग पर चल पाए।
ललाट पर शौर्य की रेखा,शौर्य पूर्ण ही जीवन हो।
कायरता की ढाल न लेना,जीवन ही पराक्रमी हो।
प्रेम से मार्ग प्रदर्शित, मानवता प्रविष्टि रहे।
जीवन के हर इक पहलू में ,देश प्रेम विशिष्ट रहे।
बलिदान हुए इस माटी पर,उनकी शहादत याद रहे।
राष्ट्र प्रेम हो रोम रोम में, माँ तेरा अहसास रहे।
“महेश “उंगली ऊठे भारत माँ पर,शीश यही कलम हो जाये।
जीवन में उदगार स्थापित ,मर्यादा से कर पाए।
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