तालाबंदी की घोषणा
लॉकडाउन की कीमत हमने
बहुत देर से जानी है।
धीरे-धीरे समझ रहे हम
सब की यही कहानी है।
जनता कर्फ्यू की बात नयी
बात सभी ने मानी थी।
ताली थाली ढोल बजाकर
शंखनाद की ठानी थी।
शुभ ध्वनि गूंजी घर-घर में
विस्मृत संस्कृति का मान किया।
हुई तरंगित दसों दिशाएं
प्रकृति ने अमृत पान किया।
दुनिया दहक उठी जिस भय से
लड़ने का अभियान किया।
विश्वासघात करके विषधर ने
खुद को जग में बदनाम किया।
अति क्रूर विषाणु कोरोना ने
मानव मन पर आघात किया।
जीवन के बढ़ते सुंदर पथ में
महामारी का वज्रपात किया।
अदृश्य शत्रु की मार भयंकर
किसको मारे किस का संहार करें।
किसके विरुद्ध युद्ध करें हम
किसका हम उद्धार करें।
शक्तिशाली देश विश्व के
अपारशक्ति के पुंज बड़े थे।
कमर टूट गई उनकी अब
विपदा में उनके हाथ खड़े थे।
धीरज धरकर भारत ने
रचना व्यूह की कर डाली।
अपनों की रक्षा के हित में
तालाबंदी घोषित कर डाली।
रहे सुरक्षित सब अपने घर में
संबल दे सबको भय दूर करें।
सामाजिक दूरी में रहकर
वायरस को चकनाचूर करें।
निलेश जोशी”विनायका”
बाली, पाली (राजस्थान )