पतझड़ भी जिंदगी का हिस्सा है
फर्क है इतना कुदरत से सूखते है पते
जिंदगी मे सूखते है रिश्ते जो
जो नाम के होते है सावन की तरह
और बिखर जाते है पतझड़ की तरह
पतझड़ मे पते लगा नहीं सकते
वैसे ही जबरदस्ती रिश्ते बना नहीं सकते
पत्थर के दिल पिघला नहीं करते
वैसे ही मौसम पर सवाल किया नहीं करते
अपने कहा मिलते है मौसम की तरह
अपने मिलते है पतझड़ और सावन की तरह
जो बदलते रहते है पतझड़ की तरह
मन की आवाज़ कहा सुनाई देती है किसी को
मन मे दर्द हो तो लोग मजा लेते है सावन की बरसात की तरह और हम दर्द मे रहते है पतझड़ की तरह
Monika Bararia
D.O.B.- 03-07-1992
surat vesu [honex tower , Gujarat
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