– जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता का बोध कराते है ,उसे विशेषण कहते है | यह विशेषता रुप ,गुण , स्वभाव , संख्या , आकार आदि से सम्बंधित हो सकती है |
उदाहरण – श्यामू मोटा लड़का है | सुनीता सुंदर लड़की है | राजकुमार जी मिलनसार व्यक्ति है |
विशेष्य – जिस शब्द की विशेषता बतायी जाए , उसे विशेष्य कहते है |
उदाहरण – सोहन सुंदर बालक है |इस वाक्य में बालक विशेष्य है क्योकि सुंदर शब्द उसकी विशेषता बतलाता है |
प्रविशेषण – जो शब्द विशेषण की विशेषता बतलाता है, उसे प्रविशेषण कहते है |
उदाहरण – मोहित बहुत चालाक है |इस वाक्य में “चालाक” विशेषण की विशेषता “बहुत” से व्यक्त हुई है | अत: वाक्य में “ बहुत “ शब्द प्रविशेषण है |
वाक्यों में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है | प्रथम प्रकार में जब वह विशेष्य ( संज्ञा या सर्वनाम) के पहले प्रयोग होता है तथा द्वितीय प्रकार में जब वह विशेष्य के बाद आता है |
पहली स्थिति में वह विशेष्य –विशेषण अथवा उद्देश्य – विशेषण कहा जाता है | दूसरी स्थिति में विधेय- विशेषण कहलाता है | जैसे बुरा काम मत करो ( विशेष्य –विशेषण )
वह काम बुरा है | (विधेय –विशेषण )
मुख्यत: विशेषण के चार भेद है |
(i) गुणवाचक विशेषण
(ii) परिमाणवाचक विशेषण
(iii) संख्यावाचक विशेषण
(iv) सार्वनामिक विशेषण
जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम का आकार –प्रकार ,रूप-रंग , सम्बंध , गुण-दोष , आदि का बोध (ज्ञान ) होता है उन्हे गुण वाचक विशेषण कहते है |
उदाहरण – कालिदास विद्वान व्यक्ति थे | ऐश्वर्या एक सुंदए अभिनेत्री है | राजकुमार को हरी कमीज पसंद है | भिखारी अत्यंत दुबला – पतला है |
जिस विशेषण के द्वारा किसी वस्तु के परिमाण (माप –तौल ) का बोध होता है, उसे परिमाण वाचक विशेषण कहते है |
उदाहरण – मुझे थोड़ी चाय दीजिए | मोहन कि भैंस बहुत दूध देती है आदि |
परिमाण वाचक विशेषण के भेद – इसके दो भेद है |
(क) निश्चित परिणाम वाचक विशेषण –जिस विशेषण के द्वारा किसी वस्तु के निश्चित परिमाण (माप –तौल ) का बोध होता है, उसे निश्चित परिमाण वाचक विशेषण कहते है |
उदाहरण – सवा दो मीटर कपड़े से मोहन की कमीज बन जायेगी | राजू बाजार से दो लीटर तेल लाया है |
(ख) अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण –जिस विशेषण के द्वारा किसी वस्तु के निश्चित परिमाण (माप–तौल ) का बोध नहीं होता है, उसे अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण कहते है |
उदाहरण – मेले में बहुत आदमी थे | चिड़ियाघर में अनेक पशु – पक्षी हैं |
जिस विशेषण से वस्तुओं की संख्या का बोध होता है , संख्या वाचक विशेषण कहते है |
उदाहरण – पाँच लड़के , तीसरा आदमी , तृतीय वर्ग़, पाँच गुने लोग आदि |
संख्या वाचक विशेषण के भेद
– इसके पाँच भेद है –
(क) गणनावाचक
(ख) क्रमवाचक
(ग) आवृत्तिवाचक
(घ) समुदायवाचक
(ङ) प्रत्येकवाचक
(क) गणनावाचक – जिस विशेषण के द्वारा गणना अर्थात् गिनने का बोध हो ,उसे गणनावाचक कहते है |
जैसे – दस लड़के , एक पॉव चावल आदि
(ख) क्रमवाचक- जो विशेषण क्रम के अनुसार गणना का बोध कराता है , उसे क्रमवाचक कहते है |
जैसे – सातवां और आठवां लड़का एक दूसरे के पीछे रहेंगे | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती होगी |
(ग) आवृत्तिवाचक – जो संख्यावाचक विशेषण किसी भी संख्या की आवृत्ति को दर्शाता है , उसे आवृत्तिवाचक कहते है | जैसे – दोगुना धन , तिगुना , चार गुना , पाँच गुना आदि |
(घ) समुदायवाचक – जो संख्या के समूह या समुदाय का बोध कराता है , उसे समुदाय वाचक कहते है |
तीनों लोक , चारों घर , पाँचों भाई आदि |
(ड.) प्रत्येकवाचक – जो विशेषण हर एक का बोध कराता है ,उसे प्रत्येकवाचक कहते है | जैसे – प्रत्येक , हर एक , एक –एक आदमी आदि |
जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग विशेषण की भांति होता है ,उसे सार्वनामिक विशेषण कहते है | जैसे – यह लड़का बुद्धिमान है , कोई व्यक्ति गया , ये लोग अच्छे है ,आदि |
विशेषण शब्द किसी न किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाता है , उन विशेषता बतलाए जाने वाले शब्दों में गुण-दोष के आधार पर कम या अधिक होते है | इसी उतार- चढ़ाव को तुलना करना कहा जाता है | यह तुलना तीन अवस्थाओं में देखा जाता है –
(क) मूलावस्था (ख) उत्तरावस्था (ग) उत्तमावस्था
विशेषण की मूलावस्था में तर तथा तम शब्द लगा कर उत्तरावस्था व उत्तमावस्था का तुलनात्मक दृष्टि से प्रयोग किया जाता है |
तुलनात्मक विशेषण के उदाहरण –
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
लघु ` | लघुतर | लघुतम |
अधिक ` | अधिकतर | अधिकतम |
वृहत् ` | वृहत्तर | वृहत्तम |
कोमल ` | कोमलतर | कोमलतम |
गुरु ` | गुरुतर | गुरुतम |
प्रिय ` | प्रियतर | प्रियतम |
सुंदर ` | सुन्दरतर | सुंदरतम |
उच्च ` | उच्चतर | उच्चतम |
निम्न ` | निम्नतर | निम्नतम |
शुभ्र ` | शुभ्रतर | शुभ्रतम |
निकृष्ट ` | निकृष्टतर | निकृष्टतम |
व्याकरण में विशेषण का महत्त्वपूर्ण स्थान है | स्वतंत्र रूप से विशेषणों की संख्या बहुत कम है | संज्ञा आदि की सहायता से विशेषणों को बनाया जाता है | प्रमुख विशेषणों की सूची निम्न है :-
विशेष्य | विशेषण |
अंक | अंकित |
अग्नि | आग्नेय |
अर्थ | आर्थिक |
अधिकार | आधिकारिक |
अंचल | आंचलिक |
अपेक्षा | अपेक्षित |
अध्यात्म | आध्यात्मिक |
अनुवाद | अनुदित |
अनुशासन | अनुशासित |
अपमान | अपमानित |
अभ्यास | अभ्यस्त |
अवरोध | अवरूद्ध |
आदर | आदरणीय |
आराधना | आराध्य |
आधार | आधारित |
आत्मा | आत्मिक |
आरम्भ | आरम्भिक |
इच्छा | एच्छिक |
ईश्वर | ईश्वरीय |
इतिहास | ऐतिहासिक |
ईर्ष्या | ईर्ष्यालु |
उपेक्षा | उपेक्षित |
उपन्यास | औपन्यासिक |
उपनिषद् | औपनिषदिक |
उत्तेजना | उत्तेजित |
उत्साह | उत्साही |
उपासना | उपास्य |
उद्योग | औद्योगिक |
उपनिवेश | औपनिवेशिक |
उपार्जन | उपार्जित |
ऋण | ऋणी |
ऋषि | आर्ष |
एकता | एक |
ओज | ओजस्वी |
कल्पना | काल्पनिक , कल्पित |
कपट | कपटी |
कागज | कागजी |
केंद्र | केंद्रीय |
काम | काम्य |
खतरा | खतरनाक |
खर्च | खर्चीला |
गंगा | गांगेय |
गुण | गुणी |
ग्राम | ग्रामीण |
गुलाब | गुलाबी |
घर | घरेलु |
घृणा | घृणित |
चरित्र | चारित्रिक |
चक्षु | चक्षुष |
छल | छलिया |
छबि | छ्बीला |
जल | जलीय |
जाति | जातिय |
जागरण | जागरूक |
झगड़ा | झगड़ालु |
टकसाल | टकसाली |
ठंड | ठंडा |
तंत्र | तांत्रिक |
तिरस्कार | तिरस्कृत |
तेज | तेजस्वी |
तत्व | तात्विक |
दर्शन | दर्शनीय |
दया | दयालु |
दिन | दैनिक |
धर्म | धार्मिक |
धूम | धूमिल |
नगर | नागरिक |
निषेध | निषिद्ध |
प्रमाण | प्रामाणिक |
परिवार | पारिवारिक |
प्रकृति | प्राकृतिक |
पिता | पैतृक |
पुराण | पौराणिक |
फेन | फेनिल |
बुद्ध | बौद्ध |
भूगोल | भौगोलिक |
भारत | भारतीय |
मर्म | मार्मिक |
मानव | मानवीय |
यश | यशस्वी |
राजनीति | राजनीतिक |
लक्षण | लाक्षणिक |
वंदन | वंदनीय |
वर्ष | वार्षिक |
विकास | विकसित |
विष्णु | वैष्णव |
शक्ति | शाक्त |
श्रद्धा | श्रद्धेय |
शोषण | शोषित |
सम्पादक | सम्पादकीय |
संक्षेप | संक्षिप्त |
हृदय | हार्दिक |
क्षण | क्षणिक |
क्षमा | क्षम्य |
क्षेत्र | क्षेत्रीय |
ज्ञान | ज्ञानी |
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