माँ याद तुम्हारी मुझे तब आई

माँ याद तुम्हारी मुझे तब आई
जब सबने रिस्ता तोड़ दिया
सुख मे सबने साथ दिया
दुख मे अकेला छोड़ दिया

माँ एक तुमने ही
मुझे आँख का तारा कहकर
मेरा मान बढ़ाया है
बाकि दुनिया ने धोखा देकर
हमेशा मुझे झुकाया है

माँ एक तुमने ही
मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया है
बाकि दुनिया ने ठोकर देकर
हमेशा मुझे गिराया है

माँ एक तुमने ही
मुझे रोता हुआ चुप करवाया है
बाकि दुनिया ने दुख देकर
हमेशा मुझे सताया है

माँ एक तुमने ही
मेरी गलती पर मुझको समझाया है
बाकि दुनिया ने हमेशा मुझे
मेरी गलती पर सजा का फरमान ही सुनाया है

माँ एक तुमने ही
मुझे लोरी गाकर सुलाया है
बाकि दुनिया ने कुठा देकर
मुझे निराश किया है

माँ एक तुमने ही
मुझे आत्मविश्वास देकर
मुझको वीर बनाया है
बाकि दुनिया ने कमजोर कहकर
मेरा उत्साह गिराया है

माँ याद तुम्हारी मुझे तब आई
जब सबने रिस्ता तोड़ दिया
धन्यवाद करू मै माँ तुमको
कि तुम दुनिया मे लाइ हो मुझको
धन्यवाद करू मै माँ तुमको
कि तुमने मेरा साथ निभाया

धन्यवाद है मेरा हर माँ को
माँ ने हि घर संसार बसाया

नाम-गरिमा
D.O.B- 21/3/2005
ADDRESS- A-104 harkash nager new delhi okhla phase-2 new delhi 110020


About Author


Sushil Kumar Maurya

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