धार को तेज कर चाल को बढ़ा कर

नजर को भेद कर फटाफट चल पड

सब कुछ जान ले होश से काम ले

राम का नाम ले फटाफट चल पड

कान भी कड़े हैं रोंगटे खड़े हैं

होश भी उड़े हैं फटाफट चल पड़

नजर को बदल कर राह में सम्हल कर

नियम पर अम्ल कर फटाफट चल पड़

सीना तानकर अपना मानकर

लोग पहचान कर फटाफट चल पड़

मुट्ठी भींच कर  जोश में भरकर

लंगोटी कस कर फटाफट चल पड़

बच्चे अलग कर औरतें छोड़ कर

बाकी से रार कर फटाफट चल पड़

हाय तू ले मत अबला को छेड मत

दरिन्दे को छोड़ मत फटाफट चल पड़

भ्रम में मत रह भ्रष्ट से अलग रह

सिर्फ सच्ची बात कह फटाफट चल पड़

राम राम कह कर ढोंग तू मत कर

सत्य के पथ पर फटाफट चल पड़

अकड कर मत चल बदल रहा है हर पल

प्यार से भर ले दिल फटाफट चल पड़

प्यार से काम ले सबका साथ ले

हाथ में हाथ ले फटाफट चल पड़

चापलूसी भुला डाल लालच को मिटा डाल

स्वाभिमानी बना डाल फटाफट चल पड़

उसे कब शर्म है रुकना अधर्म है

चलना तेरा धर्म है फटाफट चल पड़

सीना सींच कर दिलों को जीत कर

सांसें भींच कर फटाफट चल पड़

पों फट चुकी है आग सुलग उठी है

दुंदुभी बजी है फटाफट चल पड़

आमने सामने सहर ने गाँव ने

कह दिया सब ने फटाफट चल पड़

बात से पलट मत सत्य को उल्ट मत

असत्य से डर मत फटाफट चल पड़

पहले मांग कर तब तू वार कर

हक को छीनकर फटाफट चल पड.


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authorrajmangal

Hindi Writer, Short Story And Novel.

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