प्रकृति ने इस अनूठे जग को, कई रंगों से सजाया,

हौसलों से उड़ानों को, फिर से जीना सिखाया।

मिला इस जहां में जो भी ,उसने दूसरों को हसाया,

सोंधी  मिट्टी की खुशबू का राज,इंसानों से छुपाया।

विश्वास की डोर जीने का पैगाम, दिल से निभाया,

पानी की कल-कल धारा को,इठलाना सिखाया।

पवन की धीमी रफ्तार को,महसूस करना सिखाया,

जीवन के मोड़ में रिश्तों को,सपने बुनना सिखाया।

कहर दर्द ये जुबां से,लबो पर व्यक्त करना सिखाया,

उम्मीदों के सपनों को,हक्कीकत उड़ना सिखाया।

मिले जो चाहे न चाहते ,बिछड़े को मिलाया,

प्रकृति ने इस अनूठे जग को, कई रंगों से सजाया,

हौसलों से उड़ानो को ,फिर से जीना सिखाया।।

युवा कवि,शिक्षक

लिकेश कुमार *ठाकुर*

बरघाट जिला सिवनी(म.प्र)

वर्तमान निवास-भोपाल

संपर्क-9691890212

 

 


About Author


ठाकुर युवा कवि लिकेश कुमार

युवा कवि,रचनाकार, शिक्षक लिकेश कुमार *ठाकुर* पिता श्री सुरेन्द्र ठाकुर माता श्रीमती लक्ष्मी ग्राम-पांडरवानी पोस्ट -अतरी तहसील बरघाट जिला सिवनी मध्यप्रदेश की जन्मस्थली। पेशे से शिक्षक शिक्षा बीएड ,एमएससी(maths)
साथ ही अध्यापन कार्य मे सक्रिय, साथ ही साहित्य जगत में शब्दों के जाल से वीर ,श्रृंगार,हाश्य, रस से परिपूर्ण ओजस्वी कविता लेखन ,शायरी लेखन, उपन्यास लेखन,साथ ही मंच संचालन में सक्रिय भूमिका।
आपका अपना युवा कवि
लिकेश कुमार "ठाकुर"
बरघाट ,जिला-सिवनी(म.प्र)

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