ख़ुशी हैं शिक्षकों के दामन में,
पर हंसी के लिये हक नहीं.
हर नज़र है वाट्सएप पर,
पर नियुक्ति की ख़बर नहीं.

आंखो में है नींद भरी,
पर सोने का चैन नहीं.
हर चयनित है दुख से भरा,
पर सुनने को कोई है नहीं.

सारे नाम मोबाइल में है,
पर बात के लिये मन नहीं.
गैरों की क्या बात करे,
अपनों के लिये ही शब्द नहीं.

तू ही बता ए ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा.
कि हर पल रीट वालो को,
जीने के लिये चैन नहीं…
– अर्पित सिंह, चयनित शिक्षक   जैसलमेर, राजस्थान

मो. न.-9571188858

 


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