आतंकी बंद कर तेरा व्यापार
मिट्टी पानी बनकर लहू बहे,
फैला आतंक का व्यापार।
हर बून्द खून की,
हमसे करे पुकार।।
छलनी सीना हो रहा,
सर देह से गोली पार।
देखो कितना फैल गया,
मौत का व्यापार।।
उरी हमला एयरबेस में,
आंतक घुसा सैनिक भेष में।
मिटता जा रहा सपना देश का,
किसी का होता साकार।
नफरत की आंधी चली,
क्यो निकले हथियार।
रोम रोम कांप उठे अब,
चारों तरफ़ फैला हाहाकार।
दूर दूर बैठे फ़िरे आतंकी,
साइबर पर उनका अधिकार।
तमंचे को दबाते ही,
सैनिक देशवासी मर जाता बेहाल।
अचूक तरीका खोज लिया हमने,
मिसाइल अभेद टैंक नाग।
त्रिशूल राडार की पैनी नजरें,
अब परमाणु नाभिकीय बम का आविष्कार।
सीरिया ईरान लहू लुहान फिरे,
जिहाद बना परिवार।
दाऊद लादेन बगदादी विश्व के,
सिमी अलकायदा जिम्मेवार।
जो देते बढ़ावा इनको,
बोलो कौन है?कसूरवार।
छब्बीस की वो रात क़ातिल,
भारत माँ का ये हाल।
बड़ी रंजिशें है फैली,
नही खून को खून से प्यार।
अपना आतंक खेल रहा,
भाई भाई के दिल में बचा न प्यार।
सारे गुनाहों की जड़ को फैला रहा,
फैला आतंक का व्यापार।
बस अंत में कहता *ठाकुर*,
जागो भारत राज दुलार।
एक खून एक तत्व का,
न करना बहिष्कार।
समूचे चैन मेरे मुल्क का,
न छीनना छदम अवतार।
ट्रैन एयरबेस सैनिक वासी को न उड़ाना,
हम उड़ा देगे तेरे आतंक का व्यापार।।
मिट्टी पानी बनकर लहू बहे,
फैला आतंक का व्यापार।
हर बून्द खून की,
हमसे करे पुकार।।
युवा कवि
लिकेश ठाकुर
बरघाट (सिवनी)मध्यप्रदेश
वर्तमान निवास भोपाल
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