आज़ाद गज़ल

बाज़ार से तू बेज़ार क्यूँ है खुद से इतना खार क्यूँ  है । हसरतें तू हैसियत में रख पाले ख्वहिंशे हज़ार क्यूँ है । मुफलिसी महबूबा है तेरी समझ ,तुझ से प्यार क्यूँ है । फ़िर से चुनाव आने को है जाना मेहरबाँ सरकार क्यूँ है हस्ती है इनकी तुझसे अजय वरना सांसे मददगार क्यूँ […]

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