शुक्लोत्तर (छायावादोत्तर) युग :-

सन् 1938 ईo से 1947 ईo तक के काल को शुक्लोत्तर युग कहा गया |

इस युग मे राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना से प्रेरित होकर लेखको मे यथार्थवादी रचनाये प्रचुर मात्रा मे किया | जीवन के यथार्थ मूल्यो का चित्रण,शोषितो, पिडितो, दीन हीन मानवो का चित्रण, लेखको की मुख्य विषय वस्तु रही |

शुक्लोत्तर युग के विभिन्न गद्य विधाओ के लेखको एंव उनकी कृतियो का विवरण निम्नांकित है |

शुक्लोत्तर युग के प्रमुख निबंधकार एंव उनकी कृतिया :-

लेखक प्रमुख निबंध निबंध संकलन
आचार्य हजारी व्दिवेदी कविता का भविष्य, अशोक के फूल, शिरिष के फूल, भारतीय संस्कृति के देन, बसन्त आ गया, आम फिर बौरा गए, कुटज, हिन्दी भक्ति साहित्य आदि | विचार प्रवाह, आलोक पर्व, अशोक के फूल, कल्पलता, कुटज |
जैनेन्द्र कुमार भाग्य और पुरूषार्थ, साहित्य का श्रेय और प्रेय, ये और वे | गांधी नीति, सोच – विचार, पूर्वोदय, मंथन |
डा0 नगेन्द्र स्वतन्त्रता के पश्चात् हिन्दी आलोचना, हिन्दी उपन्यास, बज्र भाषा का गद्य | आस्था के चरण, अनुसन्धान और आलोचना, विचार और अनुभूति, चेतना के बिम्ब |
डा0 रामविलास शर्मा संस्कृति और साहित्य, प्रगति शील साहित्य की समस्याए, प्रगति और परम्परा | संस्कृति और साहित्, प्रगति
और परम्परा |
विद्या निवास मिश्र आम्र मंजरी, मैंने सिल पहुंचाई,
आंगन का पक्षी, हिन्दू धर्म और संस्कृति |
तुम चन्दन हम पानी, मेरे राम
का मुकुट भीग रहा है, छितवन की छाह, मैंने सिल पहुंचाई |

शुक्लोत्तर युग के प्रमुख कहानीकार एंव उनकी कृतिया :-

कहानीकार का नाम प्रमुख कहानिया
1. इलाचन्द्र जोशी प्रेतात्मा, मिस्त्री, रोगी, चौथे विवाह के
पत्नी |
2. अज्ञेय रोज, खितीन बाबु, अमरवल्लरी, कडिया, रेल
की सिटी, हरसिंगार, शरzzणार्थी मैना |
3. आचार्य चतुरसेन शास्त्री अम्बपालिका, सिंहगढ विजय, रूढी रानी,
पन्नाधाय, भिक्षुराज |
4. जैनेन्द्र मास्टर साहब, परख, एक रात, ग्रोमोफोन
का रिकार्ड, नीलम देश की राज्य कन्या, ध्रुव यात्रा, जाह्नवी |

शुक्लोत्तर युग के प्रमुख उपन्यासकार एंव कृतिया :-

औपन्यासिक कृतिया

उपन्यासकार का नाम
यसपाल झूठा सच, दादा कामरेड, दिब्या,अमिता,
मनुष्य के रुप, पार्टी कामरेड,देश द्रोही |
नागार्जुन बलचनमा, रतिनाथ की चाची, दुखमोचन,
वरूण के बेटे, बाबा बटेसरनाथ |
राहुल सांस्कृत्यायन जय यौधेय, सिंह सेनापति |
धर्मवीर भारती गुनाहों का देवता, सुरज का सातवां घोंडा |
रांगेय राघव मुर्दो का टीला, चीवर, घरौंदे, अंधरे की
जुगुनू, विषाद मठ, राई और पर्वत, कब तक
पुकारू, आखिरी आवाज |
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ मैला आंचल, परती परिकथा, कितने चौराहे,
कलंकमुक्ति

शुक्लोत्तर युग के प्रमुख नाटककार एंव उनकी कृतिया :-

नाटककार का नाम नाट्य कृतियो के नाम
लक्ष्मी नारायण लाल आंधा कुंआ, दर्पण, अब्दुल्ला दीवाना, सबरंग
मोह भंग, कर्फ्यू |
उपेन्द्रनाथ ‘ अश्क ’ स्वर्ग की झलक छठा बेटा, अंधी गली, अंजो
दीदी, कैद, जय पराजय |
धर्मवीर भारती अंधा युग |

हिन्दी के प्रमुख रेखाचित्रकार एंव संस्मरणकार :-

लेखक नाम कृतियों का नाम
पदसिंह शर्मा पद्म पराग |

बनारसी दास चतुर्वेदी सेतुबंध, संस्मरण, हमारे अध्याय, रेखाचित्र |
रामवृक्ष बेनीपुरी माटी की मुरतें, गेंहू और गुलाब,लाल तारा |
महादेवी वर्मा मेरा परिवार, पथ के साथी, अतीत के
चलचित्र, स्मृति की रेखाए |
कन्हैयालाल मिश्र ‘ प्रभाकार ’ भूले हुए चेहरे, माटी हो गई सोना, दीप जले
शंख जले, ज़िंदगी मुस्कराई |

शुक्लयुग (छायावादी युग ) की प्रमुख पत्र पत्रिकाए :-

पत्रिका का नाम सम्पादक का नाम प्रकाशन स्थान
1. हंस प्रेमचन्द काशी (बनारस)
2. कर्मवीर माखनलाल चतुर्वेदी जबलपुर
3. साहित्य – सन्देश गुलाबराय आगरा
4. आदर्श / मौजी शिवपूजन सहाय कलकत्ता ( कोलकाता )
5. सरोज नवजादिकलाल श्रीवास्तव कलकत्ता ( कोलकाता )

शुक्लोत्तर युग ( छायावादोत्तर युग ) की प्रमुख पत्र पत्रिकाए :-

पत्रिका का नाम सम्पादक का नाम प्रकाशन स्थान
कादम्बिनी राजेन्द्र अवस्थी दिल्ली
गंगा कमलेश्वर दिल्ली
धर्मयुग धर्मवीर भारती / गणेश मन्त्री बम्बई ( मुम्बई )
सारिका कमलेश्वर / अवधनारायण मुद्गल दिल्ली
हंस कमलेश्वर दिल्ली

हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाए :-

हिन्दी गद्य मे अनेक रचनाए हुई | आधुनिक युग मे अनेक नमीन गद्य विधाओ ने जन्म लिया | हिन्दी के प्रमुख गद्य विधाओ का विवरण निम्न प्रकार है –

1. निबंध –

निबंध वह गद्य विधा है, जिसमे लेखक स्वच्छन्दतापूर्वक अपने विचारो तथा भावो को व्यक्त करता है | भावो को व्यक्त करते समय लेखक कलात्मक नियमो के बंधन से मुक्त होता है | गद्य की नवीन विधाओ मे निबंध सबसे महत्वपुर्ण तथा विकसित विधा है | महत्वपुर्ण बिन्दुओ को ध्यान मे रखते हुए आलोचको ने निबंध को गद्य की कसौटी कहा है | आधुनिक हिन्दी निबंध अंग्रेजी के एस्से के अधिक निकट है | निबंध मे लेखक किसी भी विषय का विवेचन, परीक्षण, विश्लेषण, ब्याख्या तथा मूल्यांकन करता है |विषय तथा शैली के अनुसार निबंध के चार भेद है‌ ——-

(i) विचारात्मक निबंध ‌‌—

विचारात्मक निबंध मे विचारो का प्रमुख स्थान रहता है | बुध्दि तत्व की प्रधानता रहती है | निबंध लिखते समय लेखक विषय गत निबंध का चिन्तन व मनन करता है | राम चन्द्र शुक्ल व्दारा लिखित निबंध ‘ मित्रता ’ तथा डा0 राजेन्द्र प्रसाद व्दारा लिखित ‘ भारतीय संस्कृति ’ इसी प्रकार के निबंध के श्रेणी मे आते है |

(ii) भावात्मक निबंध ‌—

इस प्रकार के निबंधो मे भाव तत्व अर्थात् ह्दय तत्व की प्रधानता होती है | इस प्रकार के निबंध का मुख्य लक्ष्य पाठक के ह्दय को प्रभावित करना होता है |
ऐसे निबंधो की भाषा सरल सुन्दर तथा मधुर होती है | अलंकारो का समुचित प्रयोग किया जाता है | कवित्वपूर्ण शैली का प्रयोग इस प्रकार के निबंधो की प्रमुख विशेषता है |

(iii) वर्णनात्मक निबंध —

वर्णनात्मक निबंध मे लेखक किसी घटना, दृश्य, वस्तु, स्थान आदि का विस्तार से वर्णन करता है |
वर्णनात्मक निबंध की दो शैलिया है – यथार्थ वर्णन तथा अलंकृत वर्णन | यथार्थ वर्णन मे लेखक सूक्ष्म निरिक्षण तथा अनुभूति के अधार पर वर्णन करता है, तथा अलंकृत वर्णन मे निबंध मे रोचकता लाने के लिये कल्पना का प्रयोग करता है | वर्णनात्मक निबंध की शैली सुबोध तथा सरल होती है |

(iv) विवरणात्मक निबंध —

इस प्रकार के निबंधो मे प्रायः घटनाओ, स्थानो, दृश्यो का वर्णन सुसम्बद्ध तथा क्रमबद्ध रुप से रहता है | इनकी शैली सरल भावनुकूल तथा चित्रात्मक होती है | डॉ0 भागवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘ अजंता ’ विवरणात्मक का निबंध का उदाहरण है |

2. कहानी —

कहानी हिन्दी साहित्य की सबसे मुख्य प्रिय विधा है | बच्चो से लेकर बूढो तक मे कहानी सुनने की उत्सुकता रहती है | कहानी एक छोटी रचना होती है, परन्तु बडे से बडे भाव को व्यक्त करने मे समर्थ रहती है |कहानी का आदि तथा अंत कलात्मक तथा प्रभाव पूर्ण होता है | कहानी मे पात्रो के माध्यम से इनके चरित्र, आदर्श व गुंणो को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाता है |
हिन्दी कहानी का विभाजन अनेक प्रकार से हो सकता है, जैसे – समाजिक, यथार्थवादी , ऐतिहासिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, हास्य-व्यंग्य प्रधान आदि |
जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘ ममता ’ श्रेष्ठ कहानी के गुंणो से परिपूर्ण है |

3. उपन्यास -‌‌‌—

हिन्दी के गद्य विधाओ मे उपन्यास का महत्वपूर्ण स्थान है | यह हिन्दी साहित्य की सर्व प्रिय विधा है | उपन्यास मे पात्र का सम्पूर्ण जीवन परिलक्षित होता है | उपन्यास मे काव्य जैसी भावुकता एंव सम्बेवदना होती है | जिससे पाठक उपन्यास पढने मे तल्लीन रहता है |
लाला श्री निवास दास द्वारा रचित ‘ परीक्षा गूरू ’(1882 ई0 ) को अधिकांश विद्वानो ने हिन्दी का पहला उपन्यास माना है |

4. नाटक ‌—-

रंग मंच पर अभिनय द्वारा प्रस्तुत करने के प्रयोजन से एकाधिक अंको वाली दृश्यात्मक साहित्यिक रचना को नाटक कहते है | नाटक मे पात्रो के शारीरिक एंव मानसिक अवस्था का अनुकरण किया जाता है |
आज नाटक अंग्रेजी शब्द ‘ ड्रामा ’ का पर्यावाची बन गया है | हिन्दी भाषा मे मौलिक नाटको का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है |
व्दिवेदी युग मे नाटको का विकास अधिक नही हुआ | छायावाद युग मे जयशंकर प्रसाद ने नाटको के विकास मे महत्व पूर्ण योगदान दिया | छायावादोत्तर युग मे उदयशंकर भट्ट, लक्ष्मीनारायण मिश्र, डा0 रामकुमार वर्मा, सेठ गोविन्द दास आदि ने नाटक विधा को विकसित किया |

5. एकांकी —

एकांकी हिन्दी साहित्य की वह विधा है | जो नाटक के समान अविनय से सम्बंधित है | परन्तु एकांकी मे किसी घटना या विषय को एक अंक मे ही प्रस्तुत किया जाता है | वर्तमान समय मे हिन्दी मे एकांकी पाश्चात्य एकांकियों से प्रभावित रही है |
डा0 रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित ‘ बादल की मृत्यु ’ हिन्दी का पहला एकांकी है | डा0 रामकुमार वर्मा के अतिरिक्त इस काल के प्रमुख एकांकीकारो मे उदयशंकर भट्ट, उपेन्द्रनाथ ‘ अश्क ’, विष्णु प्रभाकार जगदीश चन्द्र माथुर भुवनेश्वरप्रसाद मिश्र आदि उल्लेखनीय है |

6. अलोचना —-

किसी रचना की सम्यक परीक्षाक करते हुए उसके गुण – दोषो की भली – भाति परख करना और उसको प्रकट करना ही आलोचना कहलाता है |
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के युगद्रष्टा आलोचक रहे है | इन्होने हिन्दी समालोचना को उच्च शिखर पर पहुंचाने का प्रयास किया है | शुक्ल जी ने हिन्दी आलोचना के नवीन मानदण्डों की स्थापना की और समीक्षा पद्धति का सुनिश्चित मार्ग निर्मित किया |
शुक्लजी की परम्परा को आगे बढाने का कार्य कृपाशंकर शुक्ल, चन्द्रबली पाण्डेय, रमाशंकर शुक्ल, विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, जैसे विद्वानो ने किया |
प्रगतिवादी युग के प्रमुख आलोचको मे डा0 रामबिलास शर्मा, अमृतराय, शिवदानसिंह चौहान, शमशेरबहादुर सिंह आदि है | मनोविश्लेषणात्मक आलोचको मे इलाचन्द्र जोशी, अज्ञेय, नलिनविलोचन शर्मा, देवराज उपाध्याय आदि का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है | नई कविता के अलोचको मे डा0 नामवर सिंह, डा0 इन्द्रनाथ मदान, डा0 जगदीश गुप्त आदि का नाम प्रसिद्ध है |

7. जीवनी ——

‘ जीवनी ’ हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण विधा है | जब किसी महापुरूष या विख्यात व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन की घटनाओ को अन्य लेखक प्रस्तुत करता है तो ऐसी साहित्यिक रचना को जीवनी कहा जाता है | आत्मकथा और जीवनी मे अंतर यह है कि आत्मकथा मे लेखक स्वयं की कथा को लिखता है, जीवनी मे वही लेखक दुसरे की कथा को लिखता है |
हिंदी साहित्य मे ‘ जीवनी ’ विधा को समृद्ध बनाने वालो रामविलास शर्मा, अमृत राय, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, गुलाब राय, शान्ति जोशी, विष्णु प्रभाकर आदि उल्लेखनीय है |

8. आत्मकथा —-

आत्मकथा साहित्य की लोक प्रिय विधा है | आत्मकथा का अर्थ है – स्वयं की कथा | जब कोई महान व्यक्ति अपने जीवन की महत्व पूर्ण घटनाओ को क्रमबद्ध
रूप मे स्वयं लिखता है तो उस विधा को आत्मकथा कहते है |
बनारसी दास जैन द्वारा लिखित ‘ अर्द्ध कथानक ’ हिंदी की पहली आत्मकथा है |
हिंदी के आत्मकथा लेखको मे बनारसी दास जैन, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, राहुल सांस्कृत्यान, महात्मा गांधी, गुलाब राय, यशपाल, डा0 हरिवंश राय बच्चन, आदि का नाम प्रसिद्ध है |

9. यात्रा साहित्य —–

यात्रा साहित्य को यात्रावृत्त भी कहा जाता है | यह मनोरंजन प्रधान विधा है | जब कोई लेखक स्वयं के द्वारा की गयी यात्रा का वर्णन कलात्मक एंव साहित्यिक रूप मे प्रस्तुत करता है | तो उस रचना को ‘ यात्रा साहित्य ’ या
‘ यात्रावृत्त ’ कहा जाता है | यात्रा साहित्य के लेखको मे राहुल सांस्कृत्यान, यशपाल, अज्ञेय, देवेन्द्र सत्यार्थी, निर्मल वर्मा, काका कालेलकर आदि के नाम उल्लेखनीय है |

10. रिपोर्ताज —–

रिपोर्ताज मूलत: फ्रांसीसी भाषा का शब्द है और अंग्रेजी के ‘ रिपोर्ट ’ शब्द का पर्यायवाची नाम है | रिपोर्ताज उस गद्य रचना को कहते है, जिसमे लेखक आंखो देखी घटना को वर्णन इस प्रकार करता है कि घटना पूरी जीवंतता के साथ पाठक के सामने प्रत्यक्ष हो जाती है |
रिपोर्ताज लेखको मे शिवदान सिंह चौहान (लक्ष्मी पुरा ), धर्मवीर भारती ( युद्धयात्रा ) , शमशेरबहादुर सिंह, (प्लाट का मोर्चा), रांगेय राघव ( तूफानो के बीच ) आदि के नाम उल्लेखनीय है |

11. रेखाचित्र ——

रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के ‘ स्केच ’ शब्द का हिंदी अनुवाद है | यह रेखा और चित्र दो शब्दो से मिलकर बना है | रेखाचित्र मे किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का वर्णन शब्दो के द्वारा संकेतिक रूप से इस प्रकार अंकित किया जाता है कि पाठक के हृदय मे उसका सजीव एंव यथार्थ चित्र अंकित हो जाता है |
हिंदी रेखाचित्र के विकास मे रामवृक्ष बेनी पुरी का नाम महत्वपूर्ण है |
चन्द्र गुप्त आचार्य, विनय मोहन शर्मा, महादेवी वर्मा, पण्डित श्रीराम शर्मा आदि लेखको का महत्वपूर्ण योगदान है |

12.संस्मरण ‌‌‌‌‌‌—–

संस्मरण शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘सम्यक स्मरण’ | संस्मण में किसी विशिष्ट व्यक्ति के स्वभाव,व्यवहार, स्वरुप, उठ्ने बैठने का, अन्य लोंगो के साथ बातचीत करने के तरीके का अत्यंत आत्मीयता के साथ वर्णन होता है | इसमे लेखक निज की अनुभव की हुई व्यक्ति, वस्तु या घटना का आत्मीयता तथा कलात्मकता के साथ वर्णन प्रस्तुत करता है |हिंदी के प्रमुख संस्मरण लेखको में बनारसी दास चतुर्वेदी,पद्म सिंह शर्मा,श्री नारायण चतुर्वेदी आदि है |

13.भेंटवार्त्ता ‌‌———-

‘भेंटवार्त्ता’ शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘इंटरव्यू’ का समानार्थी है |’भेंटवार्त्ता’ के लिए हिंदी मे अनेक शब्द प्रयोग किये जाते हैं जैसे‌—विशेष परिचर्चा,भेंट,चर्चा,साक्षात्कार | यदि किसी महत्व्पूर्ण व्यक्ति से मिलने के बाद,उसके विचारो से अवगत होकर किसी विशेष विषय पर,प्रश्नोत्तर के माध्यम से जानकरी प्राप्त करके लेखक जब उसे लिपिबद्ध करता है तो उसे भेंटवार्त्ता कहते है |
भेंटवार्त्ता वास्तविक और काल्पनिक दोनो प्रकार की लिखी जाती है | भेंटवार्त्ता लेखको में ‌लक्ष्मीचंद्र जैन (भगवान महवीर : एक इंटरव्यू),राजेंद्र यादव(चैखव: एक इंटरव्यू), रामचरण महेंद्र, शिवदान सिंह चौहान आदि है |

14.डायरी———

जब लेखक अपनी घटित घटनाओ को तिथिवार तथा क्रमबद्ध रूप से लिपिबद्ध करता है तो ऐसी विधा को ‘डायरी’ कहते है | डायरी विधा का आरम्भ सन 1930 ई. के आस- पास माना जाता है |नरदेव शस्त्री वेदतीर्थ को हिंदी का प्रथम डायरी लेखक माना जाता है |
डायरी लेखको में रामधरी सिंह दिनकर, इलाचंद्र जोशी, मोहन राकेश, शमशेर बहादुर सिंह आदि उल्लेखनीय है |

15.पत्र साहित्य——–

जब लेखक पत्रो के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से सम्बंध बना कर किसी महत्वपूर्ण विषय पर लिपिबद्ध वर्तापाल करता है, और उन पत्रो को संकलित करता है उस विधा को ‘ पत्र साहित्य ’ कहा जाता है | पत्र साहित्य लेखको मे बैजनाथ सिंह, बनारसी दास चतुर्वेदी, वियोगी हरि आदि उल्लेखनीय हैं |


One response to “शुक्लोत्तर (छायावादोत्तर) युग :-”

  1. 8112342322
    Sir anuvad banana hai

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