“नारी जो हम सभी का दुख हर
लेती हैं
हम उसे ही क्यों दुख देते हैं”
“नारी जो हमारे घर का मान-सम्मान बढ़ाती हैं
फिर हम उससे ही उसका मान-सम्मान क्यों छीन
लेते हैं”
“नारी जो कभी किसी मुसीबत से ना हारे
हम उससे उसकी इज्ज़त ही छीन कर क्यों हरा
देते हैं”
“नारी जो हमे संसार में सारी खुशियां देती हैं
हम उससे ही उसकी खुशियां क्यों छीन लेते हैं”
“नारी जिसे हम अपने घर की मंदिरों में रखकर
पूजते हैं
फिर हम क्यों उसको अपनी हवस का शिकार बना
लेते हैं”
– सृष्टि सिंह
– प्रयागराज,उत्तर प्रदेश
– 6386668956


About Author


shristi_singh

Other posts by

वेबसाइट के होम पेज पर जाने के लिए क्लिक करे

Donate Now

Please donate for the development of Hindi Language. We wish you for a little amount. Your little amount will help for improve the staff.

कृपया हिंदी भाषा के विकास के लिए दान करें। हम आपको थोड़ी राशि की कामना करते हैं। आपकी थोड़ी सी राशि कर्मचारियों को बेहतर बनाने में मदद करेगी।

[paytmpay]