शब्दरुप –
निम्न शब्दरुप पाठ्यक्रमानुसार दिये जा रहे हैं-
[संज्ञा शब्द ]
1. फल (अकारांत नपुंसकलिंग )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
फलम् |
फले |
फलानि |
व्दितीया |
फलम् |
फले |
फलानि |
तृतीया |
फलेन |
फलाभ्याम् |
फलै: |
चतुर्थी |
फलाय |
फलाभ्याम् |
फलेभ्य: |
पंचमी |
फलात् |
फलाभ्याम् |
फलेभ्य: |
षष्ठी |
फलस्य |
फलयो: |
फलानाम् |
सप्तमी |
फले |
फलयो: |
फलेषु |
सम्बोधन |
हे फल ! |
हे फले ! |
हे फलानि ! |
नोट- - कमल , कुसुम, जल, मित्र ,ज्ञान , पुस्तक आदि शब्दो के रुप'फल' के समान चलते हैं |
2. मति शब्द (इकारान्त स्त्रीलिंग)
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
मति: |
मती |
मतय: |
व्दितीया |
मतिम् |
मती |
मती: |
तृतीया |
मत्या |
मतिभ्याम् |
मतिभि: |
चतुर्थी |
मत्यै, मतये |
मतिभ्याम् |
मतिभ्य: |
पंचमी |
मत्या:, मते: |
मतिभ्याम् |
मतिभ्य: |
षष्ठी |
मत्या:, मते: |
मत्यो: |
मतीनाम् |
सप्तमी |
मत्याम्,मतौ |
मत्यो: |
मतिषु |
सम्बोधन |
हे मते ! |
हे मती! |
हे मतय:! |
नोट - जाति, शक्ति,रात्रि, भक्ति,स्तुति,नीति आदि इकारांत स्त्रीलिंग शब्दो के रुप " मति" के समान चलेंगे
3 . मधु शब्द (उकारांत स्त्रीलिंग )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
मधु |
मधुनी |
मधूनि |
व्दितीया |
मधु |
मधुनी |
मधूनि |
तृतीया |
मधुना |
मधुभ्याम् |
मधुभि: |
चतुर्थी |
मधुने |
मधुभ्याम् |
मधुभ्य: |
पंचमी |
मधुन: |
मधुभ्याम् |
मधुभ्य: |
षष्ठी |
मधुन: |
मधुनो: |
मधूनाम् |
सप्तमी |
मधुनि |
मधुनो: |
मधुषु |
सम्बोधन |
हे मधो! हे मधु ! |
हे मधुनी ! |
हे मधूनि ! |
नोट- अश्रु ,अम्बु ,वसु ,जानु ,तालु आदि उकारांत नपुंसकलिंग शब्दों के रुप "मधु" के समान चलेंगे |
(सर्वनाम -शब्द )
1 तद्-वह (पुँल्लिंग )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
स: |
तौ |
ते |
व्दितीया |
तम् |
तौ |
तान् |
तृतीया |
तेन |
ताभ्याम् |
तै: |
चतुर्थी |
तस्मै |
ताभ्याम् |
तेभ्य: |
पंचमी |
तस्मात् |
ताभ्याम् |
तेभ्य: |
षष्ठी |
तस्य |
तयो: |
तेषाम् |
सप्तमी |
तस्मिन् |
तयो: |
तेषु |
2 तद् -वह (स्त्रीलिंग )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
सा |
ते |
ता: |
व्दितीया |
ताम् |
ते |
ता: |
तृतीया |
तया |
ताभ्याम् |
ताभि: |
चतुर्थी |
तस्यै |
ताभ्याम् |
ताभ्य: |
पंचमी |
तस्या: |
ताभ्याम् |
ताभ्य: |
षष्ठी |
तस्या: |
तयो: |
तासाम् |
सप्तमी |
त्स्याम् |
तयो: |
तासु |
3. तद् -वह (नपुंसकलिंग )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
तत् |
ते |
तानि |
व्दितीया |
तत् |
ते |
तानि |
तृतीया |
तेन |
ताभ्याम् |
तै: |
चतुर्थी |
तस्मै |
ताभ्याम् |
तेभ्य: |
पंचमी |
तस्मात् |
ताभ्याम् |
तेभ्य: |
षष्ठी |
तस्य |
तयो: |
तेषाम् |
सप्तमी |
तस्मिन् |
तयो: |
तेषु |
4 युष्मद् ( मध्यम पुरुष -‘तुम’ )
विभक्ति |
एकवचन |
व्दिवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
त्वम् |
युवाम् |
यूयम् |
व्दितीया |
त्वाम् ,त्वा |
युवाम्, वाम् |
यूष्मान् ,व: |
तृतीया |
त्वया |
युवाभ्याम् |
युष्माभि: |
चतुर्थी |
तुभ्यम्,ते |
युवाभ्याम्,वाम् |
युष्मभ्यम्,व: |
पंचमी |
त्वत् |
युवाभ्याम् |
युष्मत् |
षष्ठी |
तव,ते |
युवयो:,वाम् |
युष्माकम्,व: |
सप्तमी |
त्वयि |
युवयो: |
युष्मासु |
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