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समास

समास की परिभाषा

– जब दो या दो से अधिक सार्थक पदों को मिलाकर एक नया पद बना दिया जाय तो उस प्रक्रिया को समास कहते हैं|

जैसे – तीन भुजाओं का समूह = त्रिभुज

समास शब्द का अर्थ

– समास शब्द संस्कृत के सम् उपसर्ग के अस् धातु से बना है | समास शब्द का शब्दिक अर्थ है –संक्षिप्तीकरण करना | लम्बे पदों को कम से कम शब्दों में कहना ही समास है|

समास विग्रह का अर्थ

– समस्त पद या समास को अलग –अलग करना या उसको पूर्व काल का रूप देना ही समास विग्रह कहलाता है | समास विग्राह में समासिक शब्दों के बीच के सम्बंध को स्पष्ट किया जाता है |

उदाहरण – “ नेत्रहीन “ का समास विग्रह होगा- नेत्र से हीन |

माता – पिता का समास विग्रह होगा – माता और पिता |

समास के भेद – समास के मुख्य रुप से चार भेद हैं | कर्मधारय और द्विगु को तत्पुरुष के भेद माना जाता है | इनका स्वतंत्र वर्णन करने पर समास के छह भेद हैं –

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वंद्व समास
  6. बहुब्रीहि समास
    1.अव्ययीभाव समास – [ सूत्र- पूर्वपद प्रधान: अव्ययीभाव: ] – जिस समास में पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो और दूसरा पद संज्ञा हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते है | अव्ययीभाव का नपुंसकलिंग एकवचन में रूप होता है | सम्पूर्ण शब्द क्रिया विशेषण अव्यय होता है | उसका रूप लिंग, वचन तथा कारक में नहीं बदलता है | सर्वदा एक जैसा रहता है |संस्कृत में उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास माना जाता है |

अव्ययीभाव समास के उदाहरण – प्रतिदिन – इसमें पूर्व पद “प्रति” अव्यय है | इसका विग्रह “ प्रत्येक दिन “ होगा | अव्ययीभाव समास के विग्रह के लिये सामासिक पद के अर्थ का प्रयोग करते है |

अव्ययीभाव समास के उदाहरण -

समास (समस्त पद) समास विग्रह
प्रतिदिन प्रत्येक दिन
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
उपगंगा गंगा के समीप
आजन्म जन्म से लेकर
आमरण मृत्यु तक
प्रत्येक एक-एक के प्रति
यथारूचि रूचि के अनुसार
यथाक्रम क्रम के अनुसार
यथासाध्य जितना साधा जा सके
यथानियम नियम के अनुसार
प्रतिवर्ष हर वर्ष
यथाकर्म कर्म के अनुसार
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो सके
उपकूल कूल के समीप
निर्भय भय रहित
नियमानुसार नियम के अनुसार
यथाविधि विधि के अनुसार
प्रत्यक्ष आँखों के सामने
सपरिवार परिवार के साथ
सपत्नीक पत्नी के साथ
भरपेट पेट भर के
निडर बिना डरे
एकाएक अचानक
धड़ाधड़ धड़-धड़ की आवाज

 

  1. तत्पुरूष समास ‌– [ सूत्र- प्रायेण उत्तरपदार्थ प्रधानस्तत्पुरूष: ] – जिस समास में उत्तर पद के अर्थ की प्रधानता हो तथा पूर्व पद में द्वितीया से सप्तमी विभक्ति तक का लोप हो , उसे तत्पुरूष समास कहते है | जैसे – गुणयुक्त – गुण से युक्त ( तृतीया तत्पुरूष समास )

तत्पुरुष समास के भेद – कारक चिह्नों के आधार पर तत्पुरूष समास के 6 भेद है –

  • द्वितीया तत्पुरूष ( कर्म तत्पुरूष ) समास
  • तृतीया तत्पुरूष ( करण तत्पुरूष ) समास
  • चतुर्थी तत्पुरूष ( सम्प्रदान तत्पुरूष ) समास
  • पंचमी तत्पुरूष ( अपादान तत्पुरूष ) समास
  • षष्ठी तत्पुरूष ( सम्बंध तत्पुरूष ) समास
  • सप्तमी तत्पुरूष ( अधिकरण तत्पुरूष ) समास

 

  • द्वितीया तत्पुरूष ( कर्म तत्पुरूष ) समास – इस समास में कारक चिह्न “ को ” का लोप होता है | समास के दोनों पदों के बीच में कर्मकारक छिपा होता है |

द्वितीया तत्पुरुष के उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
सुखप्राप्त सुख को प्राप्त
वनगमन वन को गमन
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
जनप्रिय जन को प्रिय
परलोकगमन परलोक को जाना
मरणासन्न मरण को आसन्न
मोक्षप्राप्त मोक्ष को प्राप्त
पाकिटमार पाकिट को मारने वाला
माखनचोर माखन को चुरानेवाला
चिड़ीमार चिडियों को मारने वाला
तेलचट्टा तेल को चाटने वाला
मनोहर मन को अच्छा लगने वाला
गगनचूम्बी गगन को चूमने वाला
चित्तचोर हृदय को चुराने वाला
घरफूँक घर को फूँकने वाला
मुँहतोड़ मुँह को तोड़ने वाला
गिरहकट गिरह को काटने वाला

 

  • तृतीया तत्पुरूष ( करण तत्पुरूष ) समास – इस समास में कारक चिह्न “ से “ या “ के द्वारा “ का लोप होता है | समास के दोनों पदों के बीच में करण कारक छिपा होता है |

तृतीया तत्पुरूष समास के उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
तुलसीकृत तुलसी के द्वारा रचित
रसभरा रस से भरा
रोगग्रस्त रोग से ग्रस्त
गुणयुक्त गुणों से युक्त
करुणापूर्ण करूणा से पूर्ण
मेघाच्छन्न मेघ से आच्छन्न
शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त
पददलित पद से दलित
अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित
बाणाहत बाण से आहत
शोकाकुल शोक से आकुल
क्षुधापीड़ित भूख से पीड़ित
व्याधिग्रस्त व्याधि से ग्रस्त
भुखमरी भूख से मरी
भयाकुल भय से आकुल
आँखोंदेखी आँखो से देखी
स्वरचित स्वयं के द्वारा रचित
आचारकुशल आचार से कुशल
मनचाहा मन से चाहा
वज्राहत वज्र से आहत
बंधनयुक्त बंधन से युक्त
मुँहमाँगा मुँह से माँगा

 

  • चतुर्थी तत्पुरुष ( सम्प्रदान तत्पुरूष ) समास – इस समास में कारक चिह्न “ के लिए “ का लोप होता है | समास के दोनों पदों के बीच में सम्प्रदान कारक छिपा होता है |

चतुर्थी तत्पुरूष के उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
विद्यालय विद्या के लिए आलय
कन्या विद्यालय कन्याओं  के लिए विद्यालय
प्रयोगशाला प्रयोग के लिए शाला
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
विश्रामगृह विश्राम के लिए गृह
गुरूदक्षिणा गुरू के लिए दक्षिणा
स्नानघर स्नान के लिए घर
भूतबलि भूतों के लिए बलि
गौशाला गायों के लिए शाला
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
मार्गव्यय मार्ग के लिए व्यय
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
रसोईघर रसोई के लिए घर
हवनकुंड हवन के लिए कुंड
विधान सभा विधान के लिए सभा
मालगोदाम माल के लिए गोदाम
सभाभवन सभा के लिये भवन
ब्राह्मणदक्षिणा ब्राह्मण के लिए दक्षिणा

 

  • पंचमी तत्पुरुष ( अपादान तत्पुरूष ) समास – इस समास में कारक चिह्न “ से “ ( अलग होने के अर्थ में ) का लोप होता है |समास के दोनों पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है |

पंचमी तत्पुरूष के उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
पदच्युत पद से च्युत
रणविमुख रण से विमुख
पापमुक्त पाप से मुक्त
लोकोत्तर लोक से उत्तर /परे
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
रोगमुक्त रोग से मुक्त
जातिच्युत जाति से च्युत
देश निकाला देश से निकाला
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
कामचोर काम से जी चुराने वाला
चिंतामुक्त चिंता से मुक्त
दोषमुक्त दोष से मुक्त
कर्म विमुख कर्म से विमुख
बंधनमुक्त बंधन से मुक्त
रोगमुक्त रोग से मुक्त
भयभीत भय से डरा हुआ

 

  • षष्ठी तत्पुरूष ( सम्बंध तत्पुरुष ) समास- इस समास में कारक चिह्न “ का , के , की आदि “ का लोप होता है | समास के दोनों पदों के बीच

में सम्बंध कारक छिपा होता है |

षष्ठी तत्पुरूष के उदाहरण –

समास  ( समस्त पद ) समास विग्रह
राजपुत्र राजा का पुत्र
राज भवन राजा का भवन
राज्याध्यक्ष राज्य का अध्यक्ष
गंगाजल गंगा का जल
वीरपुत्र वीर का पुत्र
सभापति सभा का पति ( स्वामी)
जलधारा जल की धारा
आम्रवृक्ष आम का वृक्ष
सेनानायक सेना का नायक
देशसेवा देश की सेवा
सुखभोग सुख का भोग
अनारदाना अनार का दाना
ग्रामवासी ग्राम का निवासी
गृहस्वामी घर का स्वामी
विभागाध्यक्ष विभाग का अध्यक्ष
करुणासागर करूणा का सागर
सेनापति सेना का पति
सेनानायक सेना का नायक

 

  • सप्तमी तत्पुरुष (अधिकरण तत्पुरुष ) समास – इस समास में कारक चिह्न “ में ,पै, पर “ का लोप होता है | समास के दोनों पदों के बीच में अधिकरण कारक छिपा रहता है |

सप्तमी तत्पुरूष समास के उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
नरोत्तम नरों में उत्तम
शास्त्र निपुण शास्त्र में निपुण
कार्यदक्ष कार्य में दक्ष
आपबीती अपने पर बीती
कलाप्रवीण कला में प्रवीण
रणशूर रण में शूर
सिंहासनारूढ़ सिंहासन पर आरूढ़
नगर प्रवेश नगर में प्रवेश
सर्वोत्तम सभी में उत्तम
कविश्रेष्ठ कवियों में श्रेष्ठ
प्रेममग्न  प्रेम में मग्न
सिरदर्द सिर में दर्द
कार्यकुशल कार्य में कुशल
रणकुशल रण में कुशल
वीर श्रेष्ठ वीरों में श्रेष्ठ

 

तत्पुरुष समास के अन्य भेद – इसके अतिरिक्त तत्पुरूष समास के अ   न्य भेद भी है | जिनका वर्णन आवश्यक है | जो इस प्रकार है –

  • नञ तत्पुरूष समास – जब पूर्व पद में नकारात्मक भाव व्यक्त हो | उस भाव को व्यक्त करने के लिए “ न “ अथवा “ अ ” जोड़ा जाता है तो वहाँ नञ तत्पुरूष समास होता है |

नञ तत्पुरूष समास के उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
अनादि जो आदि न हो ( न आदि )
अनंत जिसका अंत न हो
असभ्य जो सभ्य न हो ( न सभ्य )
अन्याय न्याय न हो
असम्भव सम्भव न हो ( न सम्भव )
नास्तिक न आस्तिक
अनिष्ट न इष्ट
अदूर न दूर

 

  • अलुक तत्त्पुरूष समास – जिस समास में पूर्व की बिभक्ति का लोप न हो ,  वहाँ अलुक तत्पुरूष समास होता है |

अलुक तत्पुरूष समास का उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
युधिष्ठिर युद्ध में स्थिर रहने वाला
खेचर आकाश में उड़ने वाला
निशिचर रात्रि में विचरण करने वाला
दिवंगत जो मर गया हो
अंतेवासी पास में रहने वाला

 

  • उपपद तत्पुरूष समास – जिस समास में उत्तरपद, क्रिया से बना होता है और प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होता है , उसे उपपद तत्पुरूष समास कहते है |

उपपद तत्पुरूष समास के उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
लेखक लेख लिखने वाला
पाठक पाठ करने वाला
शाष्त्रज्ञ शाष्त्र जानने वाला
जलचर जल में रहने वाला
मधुप मधु को पीने वाला ( भ्रमर )
अल्पज्ञ कम जानने वाला

 

  • प्रादि तत्पुरूस समास- जिसका पूर्व पद कु ,प्र,परा , सु, निर् , दुर् आदि उपसर्गों से बना होता है तथा सभी उपसर्गों का अपना विशिष्ट अर्थ होता है जिसे विग्रह में लिखते है ,उसे प्रादि तत्पुरूष समास कहते है |

प्रादि तत्पुरूष समास के उदाहरण –

समास (समस्त पद ) समास विग्रह
कुपुरूष खराब आदमी
विज्ञान विशेष ज्ञान
दुर्जन बुरा आदमी
प्राचार्य बहुत विद्वान

 

  1. कर्मधारय समास –[ सूत्र – विशेषणं विशेष्येण बहुलम ] –जिस समास में पूर्वपद विशेषण या उपमा सूचक और उत्तर पद विशेष्य अथवा संज्ञा हो तो उसे कर्मधारय समास कहते है | विग्रह करने पर दोनों पद एक ही कारक या विभक्ति में होते है | जैसे – महात्मा – महान आत्मा | कर्मधारय समास के भेद – इसके निम्न भेद है –
  • विशेषण विशेष्य कर्मधारय समास
  • उभय पद विशेषण कर्मधारय समास
  • उपमान पूर्व पद कर्मधारय समास
  • उपमान उत्तर पद ( रूपक ) कर्मधारय समास
  • विशेषण विशेष्य कर्मधारय समास – जिस सामासिक पद में विशेष्य से अधिक महत्ता विशेषण को दी जाती है | वहाँ विशेषण विशेष्य कर्मधारय समास होता है |

उदाहरण-

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
महादेव महान देवता
कृष्णसर्प काला सर्प
नीलकमल नीला कमल
महाकवि महान कवि
महावीर महान वीर

 

  • उभयपद विशेषण कर्मधारय समास – जिस समास में दोनों पद विशेषण हो तो उसे उभयपद विशेषण कर्मधारय समास कहते है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद) समास विग्रह
कृष्णश्वेत काला और सफेद
पीतकृष्ण पीला और काला
शीतोष्ण ठण्डा और गर्म
नीलपीत नीला और पीला

 

  • उपमान पूर्वपद कर्मधारय समास – जिस समास में पूर्वपद उपमान और उत्तर पद उपमेय होता है तो उसे उपमान पूर्वपद कर्मधारय समास कहते है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
मुखचंद्र मुख चंद्र की तरह
नरसिंह नर सिंह की तरह
घनश्याम बादलों के समान श्याम
कमलकोमल कमल के समान कोमल

 

  • उपमान उत्तरपद कर्मधारय समास – जिस समास में पूर्व पद उपमेय तथा उत्तर पद उपमान होता है तो उसे उपमान उत्तरपद कर्मधारय समास कहते है |

उदाहरण-

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
मुखकमल मुख रूपी कमल
विद्याधन विद्या रूपी धन
शोकाग्नि शोक रूपी अग्नि
चरणकमल चरण रूपी कमल
चंद्रमुख चंद्र रूपी मुख

 

  1. द्विगु समास – [ सूत्र – संख्यापूर्वो द्विगु : ]- जिस समास का पूर्व पद संख्या वाचक हो और उत्तरपद संज्ञा हो तो उस समास को द्विगु समास कहते है | समास का विग्रह करने पर समाहार ( समूह ) का बोध होता है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
त्रिभुवन तीन भुवनों का समूह ( समाहार )
त्रिफला तीन फलों का समूह
चौराहा चार राहों का समूह
नवग्रह नौ ग्रहों का समूह
पंचवटी पाँच वटों का समूह
चतुर्वेद चार वेदों का समूह
नवरत्न नौ रत्नों का समूह
पंचपात्र पाँच पात्रों का समूह
दोपहर दो पहरों का समूह
चतुर्फल चार फलों का समूह
पंचामृत पाँच अमृतों का समूह
चतुरानन चार मुखों का समूह
 त्रिगुण तीन गुणों का समूह
अठन्नी आठ आनोंका समूह
चौमासा चार मासों का समूह
चतुर्दिक चार दिशाओं का समाहार
अष्टभुज आठ भुजाओं का समाहार
द्विरात्र दो रातों का समूह

 

  1. द्वंद्व समास –[ सूत्र – उभय पद प्रधानों द्वन्द्व: ] – जिस समास में दोनों पद प्रधान हो तथा विग्रह करने के लिए दो पदों के बीच में “ और “ अथवा “ या ” जैसा योजक अव्यय का प्रयोग़ होता है उसे द्वंद्व समास कहते है | जैसे – माता- पिता = माता और पिता

द्वंद्व समास के भेद – द्वंद्व समास के मुख्यत: तीन भेद है –

  • इतरेतर द्वंद्व समास
  • समाहार द्वंद्व समास
  • वैकल्पिक द्वंद्व समास
  • इतरेतर द्वंद्व समास – जिस समास में दोनों + पद अपनी-अपनी महत्ता रखते हो तथा दोनों पदों के बीच “ और “ या   “ तथा “ योजक शब्दों का लोप होता है , वहाँ इतरेतर द्वंद्व समास होता है |

उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
माता-पिता माता और पिता
भाई- बहन भाई और बहन
स्त्री-पुरुष स्त्री और पुरूष
राम –कृष्ण राम और कृष्ण
गंगा –यमुना गंगा और यमुना
लव – कुश लव और कुश
राधा- कृष्ण राधा और कृष्ण

 

  • समाहार द्वंद्व समास – जहाँ दो पदों के अर्थ के अतिरिक्त उसी प्रकार के कुछ अन्य अर्थ का भी बोध होता हो ,तो उसे समाहार द्वंद्व समास कहते है | जैसे – गाय – भैंस= गाय भैंस वगैरह ( मवेशी के अर्थ में ) इस उदाहरण से स्पष्ट है कि गाय- भैंस कहने से गाय – भैंस के साथ अन्य पशुओं का भी सांकेतिक बोध होता है |
    उदाहरण -
समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
अन्न – जल अन्न और जल ( सम्पूर्ण भोजन के अर्थ में )
रूपया –पैसा रूपया और पैसा ( सम्पत्ति के अर्थ  में )
मोटा – ताजा मोटा और ताजा ( अच्छे स्वास्थ के अर्थ में)
कपड़ा – लत्ता कपड़ा और लत्ता ( वस्त्र के अर्थ में )
सेठ – साहूकार सेठ और साहूकार ( धनी लोगों के अर्थ में )
घर –द्वार घर और द्वार ( परिवार के अर्थ में )

 

  • वैकल्पिक द्वंद्व समास – जहाँ दोनों पदों के बीच “ या  “ ,“अथवा  “आदि विकल्प सूचक शब्दों का लोप होता है , उसे वैकल्पिक द्वंद्व समास कहते है | इस समास में दो विरोधी भावों का बोध होता है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
थोड़ा- बहुत थोड़ा या बहुत
सुख- दु:ख सुख या दुख
पाप – पुण्य पाप या पुण्य
छोटा – बड़ा छोटा या बड़ा
भूखा – प्यासा भूखा या प्यासा
भला –बुरा भला या बुरा
धर्माधर्म धर्म अथवा अधर्म
जीवन –मरण जीवन अथवा मरण

 

  1. बहुब्रीहि समास [ सूत्र- अनेकमन्य पदार्थे ] – जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद की प्रधानता होती है | उसे बहुब्रीहि समास कहते है | जैसे – दशानन – दस है मुख जिसके अर्थात् रावण

बहुब्रीहि शब्द का अर्थ – बहुब्रीहि शब्द का यौगिक अर्थ इस प्रकार है – बहुब्रीहि : (धान्यं ) यस्य अस्ति स: बहुब्रीहि : ( जिसके पास बहुत चावल हो ) | इसमे दो शब्द है | प्रथम शब्द दूसरे शब्द का विशेषण है और दोनों मिलकर किसी तीसरे शब्द के विशेषण हैं इसलिए ऐसे समासों को बहुब्रीहि समास कहते हैं |

बहुब्रीहि समास के भेद –इस समास के चार भेद हैं –

  • समानाधिकरण बहुब्रीहि समास
  • ब्याधिकरण बहुब्रीहि समास
  • तुल्ययोग बहुब्रीहि समास
  • ब्यतिहार बहुब्रीहि समास

 

  • समानाधिकरण बहुब्रीहि समास – जब समास के सभी पदों में समान विभक्ति हो तथा समस्त पद विशेषण का कार्य करता है तो वहाँ समानाधिकरण बहुब्रीहि समास होता है |

उदाहरण –

समास (समस्त पद ) समास विग्रह
दशानन दश है आनन जिसके अर्थात् रावण
त्रिनेत्र तीन है नेत्र जिसके अर्थात् शंकर
लम्बोदर लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेश
एकदंत एक है दाँत जिसके अर्थात् गणेश
पीताम्बर पीला है वस्त्र जिसका अर्थात् श्रीकृष्ण
यशोधन यश ही है धन जिसका अर्थात् विशेष व्यक्ति

 

  • व्यधिकरण बहुब्रीहि समास – जिस समास में दोनों पदों में असमान विभक्ति होती है |इसमें व्यधिकरण बहुब्रीहि समास होता है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
चंद्रपाणि चक्र है हाथ में जिसके अर्थात् विष्णु
शूलपाणि शूल है हाथ में जिसके अर्थात् शंकर
चंद्रशेखर चंद्र है सिर पर जिसके अर्थात् शंकर
मृगनयनी मृग के नयनों के समान है नयन जिसके अर्थात् रूपवती स्त्री
वीणापाणि वीणा है हाथ में जिसके अर्थात् सरस्वती
गिरिधर गिरि को धारण करने वाले अर्थात् श्रीकृष्ण
पीयूषपाणि पीयूष है हाथ में जिसके अर्थात् वैद्य

 

  • तुल्य योग बहुब्रीहि समास – जिस समास में पूर्व पद ‘ सह ‘ (साथ ) का बोध कराता है ,वहाँ तुल्य योग बहुब्रीहि समास होता है |

उदाहरण –

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
सपरिवार परिवार के साथ है जो
सपुत्र पुत्र के साथ है जो ( पिता )
सानुज छोटे भाई के साथ है जो
सशरीर शरीर के साथ है जो
सचेत चेतना के साथ है जो

 

  • व्यतिहार बहुब्रीहि समास – जिस समास में घात –प्रतिघात या लड़ाई – झगड़े का आभास होता है , वहाँ व्यतिहार बहुब्रीहि समास होता है |

उदाहरण -

समास ( समस्त पद ) समास विग्रह
धक्कामुक्की धक्कों से जो लड़ाई हुई |
केशाकेशि बालों को पकड़ कर हुआ युद्ध
मुक्कामुक्की मुक्कों से हुई लड़ाई
लाठालाठी लाठियों से हुई लड़ाई
बाताबाती बातों- बातों से जो झगड़ा हुआ

 


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